Muzaffarnagar: बेटे की मौत के बाद बेबस मां अंतिम संस्कार नहीं करा सकी. मसीहा बनकर आए लोग
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में एक बेबस मां की लाचारी उस समय देखने को मिली जब बीमारी के चलते उसके 22 साल के एक नौजवान बेटे की मेरठ अस्पताल में मौत हो गई. लेकिन इस बेबस मां की लाचारी थी कि उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर सके.
अंकित मित्तल/ मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जनपद में एक बेबस मां की लाचारी उस समय देखने को मिली जब बीमारी के चलते उसके 22 साल के एक नौजवान बेटे की मेरठ अस्पताल में मौत हो गई. लेकिन इस बेबस मां की लाचारी थी कि उसके पास इतने भी पैसे नहीं थे कि वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर सके. जिसके बाद लावारिसों की वारिस कही जाने वाली साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की अध्यक्ष क्रांतिकारी शालू सैनी ने आगे बढ़कर इस बेबस मां के मृत बेटे का अंतिम संस्कार किया.
यह था मामला
दरअसल आपको बता दें कि आजमगढ़ से रोजगार के लिए 1 साल पहले शारदा नाम की एक महिला अपने 22 साल के बेटे राहुल यादव के साथ मुजफ्फरनगर आई थी. यहां पर आकर राहुल एक फैक्ट्री में काम करने लगा था. लेकिन, कुछ माह पूर्व राहुल के फेफड़ों में संक्रमण हो गया था, जिसके चलते वह बीमार रहने लगा.
डॉक्टरों ने मेरठ किया था रेफर
जिला अस्पताल से इलाज के बाद डॉक्टरों ने राहुल की हालत को नाजुक देखते हुए कुछ दिन पूर्व मेरठ मेडिकल के लिए रेफर कर दिया. लेकिन वहां पर उपचार के दौरान राहुल की 20 मई को मौत हो गई. जिसके बाद राहुल की मां शारदा अपने बेटे को किसी तरह मेरठ से मुजफ्फरनगर श्मशान घाट तक तो ले आई. लेकिन, यहां आकर उसके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपने बेटे का अंतिम संस्कार कर सके.
साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट ने दिखाई इंसानियत
मौत के बाद अंतिम संस्कार करवाने में असमर्थ मां की जानकारी जब साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट को लगी. तो, वह अपनी टीम के साथ मौत पर पहुंची. साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की अध्यक्ष क्रांतिकारी शालू सैनी जो क्षेत्र में लावारिसों की वारिस के नाम से भी जानी जाती है. उन्होंने इस बेबस मां के बेटे राहुल यादव का अंतिम संस्कार किया.
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