अली मुक्तदा/कौशांबी: करारी नगर पंचायत का शनिवार को शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम हुआ. यहां से समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता मौला बख्श के बेटे शमशाद बख्श ने नगर पंचायत अध्यक्ष पद का शपथ लिया. इस दौरान मुलायम सिंह यादव के करीबी रहे मौला बख्श ने मंच से बोलते हुए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम लिए बगैर कथित तौर पर कहा कि ''वह झूठे और मक्कार है. इसलिए मैं आप लोगों से वादा करता हूं कि समाजवादी पार्टी में नहीं रहूंगा.'' आगे कहा कि ''मेरे पिता बड़े भाई मुलायम सिंह यादव अगर होते तो जो दो चार पांच साल जिंदगी रहती मैं उनके साथ गुजार देता. मगर यह झूठा आदमी है मक्कार है.'' अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव का नाम लेते हुए कहा कि ''वह फोन पर कहते थे, लेकिन हमने देख लिया.'' राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज को भी कथित तौर पर कहा कि ''विधानसभा के टाइम वादा किया कि आप सिराथू से चुनाव लड़ो. मैं बड़ी मेहनत से अपने आदमियों को लेकर तैयारी किया. जब हमारे बच्चों के पूरा पैसा बह गया तो कहते हैं कि आप ना लड़ो. मैं नेताजी का सिपाही हूं, आप ऐसी बात क्यों करते हैं. कहा कि मैं जान गया था कि गलत आदमी पार्टी में आ गया है.''


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निकाय चुनाव के समय बढ़ी नाराजगी


नगर निकाय चुनाव के दौरान मौला बख्श समाजवादी पार्टी से अपने बेटे शमशाद बख्श के लिए टिकट मांग रहे थे, लेकिन बसपा से सपा में आए इंद्रजीत सरोज ने करारी से दूसरे प्रत्याशी इमरान का नाम आगे कर दिया. टिकट के लिए मौला बख्श लखनऊ स्थित समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंचकर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से मिले. उन्होंने मौला बख्श को आश्वासन दिया कि टिकट आपको ही दिया जाएगा, लेकिन नॉमिनेशन के दिन टिकट फ्रीज कर दिया गया. इसके बाद दोनों प्रत्याशियों ने निर्दलीय नामांकन किया. इमरान की तरफ से समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव इंद्रजीत सरोज ने लगातार रैली की. इसी बात से नाराज होकर मौला बख्श ने मंच से कथित तौर पर अखिलेश यादव को भला बुरा कहते हुए पार्टी छोड़ने की बात कही. 


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कौशांबी की राजनीति में अहम स्थान


आप को बता दे कि 1988 से लगातार मौला बख्श के घर मे ही चेयरमैनी रही है. कभी मौला बख्श तो कभी उनकी पत्नी ने जीत दर्ज कराई. हालांकि 2017 में ये सीट एससी वर्ग के लिए आरक्षित हो गयी थी. लेकिन इसमें भी मौला बख्श ने जिसको आशीर्वाद दिया था उसी ने जीत दर्ज कराई थी. मौला बख्श के समाजवादी पार्टी छोड़ने के ऐलान के बाद माना जा रहा है कि 2024 के चुनाव में कौशांबी से समाजवादी पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना आ सकता है.


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