Mulayam Singh Yadav: जब बेखौफ होकर मुलायम अड़ गए थे डकैतों के सामने, जानें नेता जी की बहादुरी का ये किस्सा
Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह के साथ बहुत से किस्से जुड़े हुए हैं..... उन्हीं में से एक किस्सा उस समय का है जब मुलायम सिंह यादव चुनाव प्रचार के लिए कहीं जा रहे थे और किसी गांव में....
Mulayam Singh Yadav : उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल (Medanta Hospital) में निधन हो गया. मुलायम सिंह के निधन के बाद समाजवादी परिवार के साथ पूरे देश में शोक की लहर डूब गई है. आज सैफई में उनका अंतिम संस्कार है. उनके दर्शन के लिए लोगों का हुजूम सड़कों पर उमड़ा है. नेता जी के निधन से हर कोई दुखी है.
मुलायम सिंह के साथ बहुत से किस्से जुड़े हुए हैं. उन्हीं में से एक किस्सा उस समय का है जब मुलायम सिंह यादव चुनाव प्रचार के लिए कहीं जा रहे थे. उसी समय किसी गांव में डकैतों ने हमला कर दिया था. नेताजी ने सामने डटकर मुकाबला किया था.
जब मुलायम बेखौफ होकर अड़ गए थे डकैतों के सामने
विधान परिषद के पूर्व सभापति चौधरी सुखराम सिंह यादव बताते हैं कि ‘मुझे वर्ष तो नहीं याद है. पर, मौका माधोगढ़ (जालौन) सीट के विधानसभा उप चुनाव का था. मेरे पिता और मुलायम सिंह के मित्र चौधरी हरमोहन सिंह वहां चुनाव प्रचार कर रहे थे.मैं भी साथ में था. उन दिनों रात-रात भर गांवों में जाकर लोगों से मिलने-जुलने और वोट मांगने की परंपरा थी. हम लोग एक गांव से निकलकर दूसरे गांव जा रहे थे. रात का वक्त था. कुठवन के पास एक गांव में फायरिंग की आवाज सुनाई दी. ‘नेताजी’ ने मुझसे कहा कि जीप गांव की तरफ ले चलो.शायद, डकैती पड़ रही है. उन्होंने पड़ोस के गांव के कुछ लोगों को भी जगवाया. हम सभी लोग उस गांव के पास पहुंचे. नेताजी सबसे आगे. गांव से थोड़ा पहले रुककर उन्होंने डकैतों को ललकारा तो उधर से हम लोगों पर फायरिंग हुई. पर, नेताजी पूरी तरह बेखौफ थे. आखिरकार, डकैतों को गांव से भागना पड़ा. गांव वाले सभी लोग सुरक्षित बच गए.
जीवन में किया था संघर्ष
समाजवादी पार्टी कुनबे के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया था. 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई में जन्मे मुलायम सिंह की पढ़ाई-लिखाई इटावा, फतेहाबाद और आगरा में हुई. मुलायम कुछ दिनों तक मैनपुरी के करहल स्थित जैन इंटर कॉलेज में प्राध्यापक भी रहे.