Prayagraj: महंत नरेंद्र गिरी की मौत की सूचना देने वाले अमर गिरी और पवन महाराज बाघम्बरी मठ से निष्कासित, ली गईं सभी जिम्मेदारियां
Mahant Narendra Giri Death Case: महंत नरेंद्र गिरी के करीबी माने जाने वाले दो शिष्यों को कई जिम्मेदारियों से हटाया गया है. बड़े हनुमान मंदिर के महंत व अमर गिरी के बीच खटास वजह माना जा रहा है. इलाहाबाद कोर्ट में अमर ने हलफनामा पेश किया है.
मो.गुफरान/प्रयागराज: अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की बाघम्बरी गद्दी मठ में पुलिस को संदिग्ध मौत की सूचना देने वाले बड़े हनुमान मंदिर के दो शिष्यों को मठ से निष्कासित कर दिया गया है. इनसे मंदिर और मठ की सभी जिम्मेदारियां छीन ली गई हैं. निष्कासन की यह कार्रवाई नए महंत बलवीर गिरी ने की है.
अमर गिरी और मंदिर पवन महाराज निष्कासित
संगम स्थित बड़े हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरी और मंदिर में ही सेवारत पवन महाराज को हटाया गया है. दोनों महंत नरेंद्र गिरी के बेहद करीबी शिष्यों में शामिल रहे हैं. अमर और पवन दोनों के निष्कासन से हर कोई हैरान है.
सताने लगा सुरक्षा का खतरा,मोबाइल फोन बंद
ऐसी खबरें हैं कि मठ से निष्कासन के बाद अमर गिरी और पवन महाराज को सुरक्षा का खतरा सताने लगा है. कोर्ट में हलफनामा दाखिल करने के बाद अमर गिरी पर दबाव पड़ने और धमकियां मिलने की भी बात सामने आ रही है. वहीं इन जिम्मेदारियों से बाहर किए जाने के बाद पवन महराज और अमर गिरी का फोन बंद आ रहा है. हाल ही में दोनों ने हाईकोर्ट में हलफनामा दाखिल कर केस वापस लेने की इच्छा जताई. ऐसा माना जा रहा है कि महंत नरेंद्र गिरी मौत मामले में केस वापस लेने की इच्छा जताने के चलते ही दोनों का बाहर किया गया है.
मठ और मंदिर में खींचतान
महंत नरेंद्र गिरी की मौत के 11 महीने बाद ही मठ और मंदिर में खींचतान मच गई है. गौरतलब हो कि महंत नरेंद्र गिरी ने अपनी वसीयत में अमर गिरी और पवन महाराज का ख्याल रखने का जिक्र किया है. स्वामी अमर गिरी अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के भरोसेमंदों रहे हैं. इस वसीयत के आधार पर ही बलबीर गिरी, महंत नरेंद्र गिरी के उत्तराधिकारी बने.
जानें क्या है पूरा मामला
बता दें, कि 20 सितंबर को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरी की मौत हुी थी. उनका शव उनके प्रयागराज स्थित मठ बाघम्बरी गद्दी में कमरे में मिला था. कमरे से एक सुसाइड नोट भी बरामद किया गया था, जिसमें आनंद गिरी, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी को मौत का जिम्मेदार बताया था. सुसाइड नोट के आधार पर एफआईआर दर्ज कराई गई थी. फिलहाल आनंद गिरी 23 सितंबर 2021 से प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद हैं.
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