पारस गोयल/मेरठ: यूपी के मेरठ की आईआईएमटी यूनिवर्सिटी की बड़ी लापरवाही सामने आई है. फर्जी दस्तावेज पर आईआईएमटी यूनिवर्सिटी ने 2020 में रिक्त पड़े वीसी के पद पर एक नटवरलाल को नियुक्त कर दिया है. इस नटवरलाल ने यूनिवर्सिटी में करीब 8 महीने तक नौकरी की और करीब 3.5 लाख रुपय की सैलरी लेता रहा. नटवरलाल मनोज कुमार मदान के फर्जीवाड़े की यूनिवर्सिटी को भनक तक नहीं लगी, जब राजस्थान के सीकर जिले से एक निजी यूनिवर्सिटी से आईआईएमटी यूनिवर्सिटी में कॉल आया था तब मेरठ की यूनिवर्सिटी की चिरनिंद्रा टूटी और फर्जी वीसी को जांच शुरू कर दी.


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आईआईएमटी यूनिवर्सिटी ने वेरीफाई करवाना भी सही नहीं समझा 
मेरठ की आईआईएमटी यूनिवर्सिटी ने नटवरलाल को सबसे बड़े पद यानी कि वाइस चांसलर के पद पर नियुक्त कर दिया. यह पद किसी भी यूनिवर्सिटी का उच्चतम पद होता है. साल 2020 में मेरठ की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी में गिने जाने वाली आईआईएमटी यूनिवर्सिटी ने एक बड़ी लापरवाही कर दी, वीसी पद के लिए इस यूनिवर्सिटी ने अखबार के माध्यम से विज्ञापन निकाला. जिसमे इंटरव्यू देने के लिए नटवरलाल मनोज कुमार मदान आया. मनोज कुमार ने इंटरव्यू के समय अपनी शिक्षा सहित अनुभव के तौर पर दस्तावेज फर्जी लगाए थे. इन दस्तावेजों को आईआईएमटी यूनिवर्सिटी ने वेरीफाई करवाना भी सही नहीं समझा और अपनी यूनिवर्सिटी के सर्वोत्तम पद पर नटवरलाल को वाइस चांसलर के तौर पर नियुक्त कर दिया.


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टेक्निकल चीजों से बचते थे वाइस चांसलर
वाइस चांसलर नियुक्त होने के बाद मनोज कुमार मदान बेखौफ होकर 8 महीने तक नौकरी करता रहा और इस बात की यूनिवर्सिटी के किसी भी शिक्षक या प्रबंधक को भनक तक नहीं लगी. हालांकि यूनिवर्सिटी के कुछ प्रोफेसरों ने बताया कि कई बार ऐसा लगता था की वाइस चांसलर टेक्निकल चीजों से बचते हैं. क्योंकि उन टेक्निकल बातों के लिए शिक्षा और अनुभव ही काम आता है. यूनिवर्सिटी के लीगल सेल के डिप्टी रजिस्ट्रार एस पी तोमर ने बताया कि जब से वाइस चांसलर के रूप में मनोज कुमार मदान को नियुक्त किया गया था तब से वह बचते बचाते रहते थे कई बार छुट्टी पर चले जाते थे. 


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एक फोन से खुल गई वीसी की पोल 
नटवरलाल वीसी ने अपने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर राजस्थान के सीकर जिले में भी फर्जीवाड़ा किया था. सीकर जिले की एक निजी यूनिवर्सिटी ने मनोज कुमार सिन्हा के नाम पर फोर्जरी और धोखाधड़ी करने पर मुकदमा दर्ज कराया. मुकदमा दर्ज होने के बाद से नटवरलाल वीसी राजस्थान छोड़कर मेरठ आ गया था और मेरठ में आईआईएमटी यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू देकर वीसी पद का लुफ्त ले रहा था. राजस्थान के सीकर जिले से मोदी यूनिवर्सिटी नाम लेकर किसी व्यक्ति का फोन मेरठ की आईआईएमटी यूनिवर्सिटी पर आया. उस फोन कॉल में बताया गया कि जो व्यक्ति आईआईएमटी यूनिवर्सिटी में वीसी पद पर तैनात है,वह फर्जी है और उसके खिलाफ सीकर जिले में मुकदमा दर्ज है. उस केस में नटवरलाल वीसी फरार चल रहा था. इस फोन कॉल के बाद आईआईएमटी यूनिवर्सिटी के अधिकारियों की नींद टूटी और फर्जी बीसी की सच्चाई जानने के लिए जांच शुरू कर दी.


राजस्थान में भी दर्ज हैं मुकदमे 
नटवरलाल मनोज कुमार मदान ने आईआईएमटी यूनिवर्सिटी का वीसी बनने के लिए देश की सबसे बड़ी यूनिवर्सिटी आईआईटी दिल्ली और आईआईटी चेन्नई के फर्जी दस्तावेज लगाए थे. आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की फर्जी डिग्री और आईआईटी चेन्नई से एमटेक की फर्जी डिग्री अपने दस्तावेज में इंटरव्यू के दौरान दिए थे, जब आईआईएमटी यूनिवर्सिटी को नटवरलाल वीसी के बारे में पता चला तो उन्होंने आईआईटी दिल्ली को मनोज कुमार मदान के नाम की डिग्री की जांच के लिए लेटर भेज दिया. आईआईटी दिल्ली का जवाब में आईआईएमटी को लेटर आया और मनोज कुमार मदान की डिग्री को फर्जी बताया जिसके बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो गया. 


आईआईएमटी यूनिवर्सिटी ने नटवरलाल वीसी के बारे में पता लगाने के बाद गंगा नगर थाना में मनोज कुमार मदान के नाम की रिपोर्ट की और मुकदमा दर्ज कराया. मनोज कुमार मदान के खिलाफ राजस्थान के सीकर जिले में भी आईपीसी की धारा 406 467 468 420 और 471 में मुकदमा दर्ज है. 


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