कन्हैयालाल शर्मा/मथुरा: श्री कृष्ण जन्मभूमि, शाही ईदगाह मामले में 18 जुलाई को मथुरा के सिविल जज सीनियर डिविजन की अदालत में सुनवाई हुई. श्री कृष्ण जन्म भूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष की तरफ से दाखिल प्रार्थना पत्र पर कोर्ट में सुनवाई हुई. लगभग आधे घंटे तक दोनों पक्षों में बहस हुई. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखते हुए अगली सुनवाई के लिए 21 जुलाई की तारीख तय की है. सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष और मुस्लिम पक्ष ने अपनी-अपनी दलील रखी. मुस्लिम पक्ष ने इस मामले को नॉन मेंटबल बताते हुए केस को खारिज करने की मांग की. वहीं हिंदू पक्ष ने जिला जज की अदालत का फैसला रखते हुए केस को सुनने लायक बताया. अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने न्यायालय में दाखिल किए गए प्रार्थना पत्र के जरिए मांग की है कि शाही ईदगाह में स्टे, कोर्ट कमीशन और सर्वे किया जाए.


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हिंदू पक्ष ने दर्ज कराई आपत्ति
सोमवार को सुनवाई के दौरान दौरान हिंदू पक्ष ने मुस्लिम पक्ष के सीपीसी 7/11 के तहत दायर किए प्रार्थना पत्र पर अपनी आपत्ति दर्ज कराई. इसकी एक कॉपी प्रतिवादी पक्ष यानी मुस्लिम पक्ष को दी हुई है. हिंदू पक्ष के अधिवक्ता का कहना था कि पूर्व में श्री कृष्ण विराजमान के केस के मेंटेनेबल और नॉन मेंटेनेबल को लेकर जिला न्यायालय में सुनवाई हो चुकी है. जिला जज की अदालत मामले को खारिज कर चुकी है और केस को मेंटेनेबल माना गया है. हिंदू पक्ष ने न्यायालय में जन्मभूमि की रजिस्ट्री की कॉपी के साथ ही खसरा,खतौनी और मथुरा नगर निगम से जुड़े हुए दस्तावेज न्यायालय में पेश किए हैं.


वहीं सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार कर लिया. यह याचिका ईदगाह परिसर के साइंस्टीफिक सर्वे की मांग से जुड़ी है. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने निचली अदालत को तीन महीने के अंदर सर्वेक्षण कार्य और विचाराधीन सभी अर्जियों पर फैसला देने का का निर्देश दिया  है. मंदिर पक्ष ने ईदगाह परिसर का कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर वैज्ञानिक सर्वे की मांग की थी. सोमवार को जस्टिस विपिन चंद्र दीक्षित की एकलपीठ ने आदेश दिया है.


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