`जहां भी जाते हैं डील करके जाते हैं..सपा-सुभासपा की बढ़ती रार पर नितिन अग्रवाल ने ओपी राजभर पर कसा तंज
प्रदेश सरकार के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने सपा और सुभासपा गठबंधन के बीच बढ़ी रार पर सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर पर तंज कसा है. ओमप्रकाश राजभर पर चुटकी लेते हुए नितिन अग्रवाल ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर जहां भी जाते हैं डील करके जाते हैं.
आशीष द्विवेदी/हरदोई: हरदोई में प्रदेश सरकार के आबकारी मंत्री नितिन अग्रवाल ने सपा और सुभासपा गठबंधन के बीच बढ़ी रार पर सुभासपा नेता ओमप्रकाश राजभर पर तंज कसा है. ओमप्रकाश राजभर पर चुटकी लेते हुए नितिन अग्रवाल ने कहा कि ओमप्रकाश राजभर जहां भी जाते हैं डील करके जाते हैं, पहले जब सरकार को छोड़कर सपा के साथ गए थे तो कोई डील करके गए होंगे और अब जब सपा ने उनका वादा पूरा नहीं किया तो अब सरकार की तारीफ कर रहे हैं.
आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी ने सुभासपा के किसी सदस्य को विधान परिषद का टिकट नहीं दिया था, लिहाजा नाराज सुभासपा नेताओं की ओर से विरोध जाहिर करते हुए कहा गया था कि अगर जयंत चौधरी को राज्यसभा भेज दिया था तो सुभासपा के किसी नेता को भी विधान परिषद भेजा जाना चाहिए था, लेकिन समाजवादी पार्टी ने गठबंधन धर्म नहीं निभाया और सुभासपा की उपेक्षा की है.
नितिन अग्रवाल ने ओमप्रकाश राजभर और सपा के बीच तल्खी को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मेरे ख्याल से ओपी राजभर जहां भी जाते हैं, कोई ना कोई डील करके जाते हैं. जब समाजवादी पार्टी में गए थे तो कुछ ना कुछ डील जरूर कर के गए थे और पहले जब सरकार में मंत्री थे, उसके बाद समाजवादी पार्टी की तरफ चले गए और अब जब समाजवादी पार्टी ने उनका कोई वादा पूरा नहीं किया तो आज वह फिर से सरकार की तारीफ कर रहे हैं.
उन्होने आगे कहा कि चलिए अच्छी बात है उनकी आंखें खुली हैं. समाजवादी पार्टी के चरित्र को उन्होंने पहचाना है. नितिन ने आगे कहा कि उनको लगता है कि राजनीति में राजभर बहुत सीरियस नहीं है. उनको थोड़ा सा चिंतन करना चाहिए कि कहां पर सम्मान मिलेगा और कहां पर उनको मिला है और जहां जब छोड़ कर गए थे,सम्मान को ठुकराकर गए थे और जहां गए वहां उनको अपमानित होना पड़ा.
बीजेपी की तारीफ़ के क्या माने समझे जाएं क्या बीजेपी से डील हो चुकी है ओमप्रकाश राजभर की इस सवाल पर उन्होंने कहा कि भाजपा कोई कभी डील नहीं करती है. भारतीय जनता पार्टी का बड़ा परिवार है और जो मन से आता है उसको आदर से भाजपा अपनाती है. यह तो हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व को तय करना होता है कि वह किस को अपने परिवार में शामिल करे और किसको नहीं.
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