Gyanvapi Survey: ज्ञानवापी सर्वे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने सर्वे जारी रखने पर मुहर लगाते हुए कल तक एएसआई सर्वे को रोक दिया है. चीफ जस्टिस ने आदेश में कहा- वाराणसी जिला जज की अदालत ने याचिकाकर्ताओं को कुछ राहत दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने उस राहत को कम किया. एएसआई के हलफनामे के बाद याचिकाकर्ताओं को मिली राहत का स्तर और कम कर दिया गया है. वाराणसी के विवादित ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे पर लगी रोक को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बढ़ाया है. ये रोक कल तक के लिए बढ़ाई गई है. गुरुवार दोपहर 3:30 बजे इलाहाबाद हाईकोर्ट में फिर से होगी सुनवाई. सुनवाई होने तक स्टे बरकरार रहेगा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एएसआई के आदेश पर गुरुवार तक रोक लगा दी। अब इस मामले की सुनवाई कल दोपहर 3:30 बजे होगी.


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इससे पहले सुनवाई शुरू होते ही चीफ जस्टिस ने ये कहा...


 चीफ जस्टिस (सीजे): पांच फीसदी कामकाज हो गया है. आपकी टीम वहां पर मौजूद है तो कितने दिन में ये काम पूरा हो जाएगा. 


एएसआई अफसर- हम 31 जुलाई तक कोशिश कर सकते हैं काम पूरा करने की
सीजे- प्रयास नहीं करिए, 31 जुलाई तक काम पूरा कीजिए, ढांचे को नुकसान पहुंचाए बिना.


वहीं एएसआई अफसर ने ढांचे को नुकसान न पहुंचाने का हलफनामा दिया. अफसर ने कहा, ढांचे को बिना कोई नुकसान पहुंचाएं सर्वे की गतिविधियों को पूरा किया जाएगा. रडार सर्वे और जीपीआर सर्वे के लिए आईआईटी कानपुर (IIT Kanpur) की टीम को बुलाया जाएगा. 


इससे पहले, शाम 4.50 बजे ज्ञानवापी सर्वे के मामले में एएसआई की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया. चीफ जस्टिस प्रीतिंकर दिवाकर की कोर्ट में सुनवाई हुई. बनारस से प्रयागराज आए अफसरों ने बताया कि सर्वे किस तकनीक और कैसे किया जाता है, यह बताया गया. 


चीफ जस्टिस ने एएसआई तकनीक पर किए सवाल
मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि इस तकनीक का इस्तेमाल करके किसी भी चीज के बारे में कितनी जानकारी हासिल की जा सकती है और वह कितनी पुख्ता होगी.पुरातत्व विभाग के अधिकारी ने बताया कि इस तकनीक के माध्यम से जमीन के अंदर 10 मीटर तक की चीजों का पता किया जा सकता है लेकिन यह निर्भर करता है मिट्टी की प्रकृति पर.


अदालत में सुबह 5 घंटे चली जिरह के प्रमुख अंश---


इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को ज्ञानवापी के एएसआई सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर बहस शुरू हुई. यह मैराथन सुनवाई शाम तक जारी रही. अदालत ने हिन्दू और मुस्लिम पक्ष की बातें सुनने के साथ यह सवाल दागा कि आखिर ज्ञानवापी विवाद में कभी सुलह समझौते का प्रयास क्यों नहीं किया गया. मालूम हो कि अयोध्या केस में सुलह समझौते का प्रयास हुआ था, कोर्ट ने स्वयं इसके लिए पहल की थी. मैराथन बहस में किस पक्ष ने क्या कहा, पेश है सुनवाई के मुख्य अंश:


चीफ जस्टिस (CJ)  हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने हिन्दू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन और एडवोकेट जनरल से पूछा, एएसआई उत्खनन से आपका क्या अभिप्राय है


एडवोकेट जैन: हम उस जगह की खुदाई करते हैं और खाईं बनाते हैं. 


CJ:  लेकिन हिन्दू याचिकाकर्ताओं की याचिका और वाराणसी कोर्ट का आदेश यह नहीं कहता है कि एएसआई (ASI) द्वारा कैसे उत्खनन किया जाएगा


एडवोकेट जैन ने वाराणसी कोर्ट का ऑर्डर पढ़ना शुरू किया, जिसमें यह निर्देश दिया गया है कि मौजूदा ढांचे को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए


एडवोकेट जैन: यहां एक बंजर भूमि है, जो कथित मस्जिद की पिछली दीवार तक जाती है.


CJ: वीडियोग्राफी कराई या हलफनामा दिया जाए कि ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.


एडवोकेट जैन: क्या मैं एक सुझाव दूं?
CJ: नहीं में सिर हिलाया


मुस्लिम पक्ष के वकील एएफएस नकवी: ये उत्खनन तीन गुंबदों के आसपास कराया जाना है, जैसा कि आवेदन में कहा गया है. हम पिछले अनुभवों को देखते हुए इस पर भरोसा नहीं कर सकते और यह उनकी गलतियों की वजह े है



सीजे ने नकवी से कहा: अगर आपको उन पर कोई भरोसा नहीं है तो क्या आप कोर्ट के आदेश पर भरोसा करेंगे. आपके अनुसार, वो अभी ढांचे को नुकसान पहुंचाएंगे.


आपका संदेह यह है कि अगर कोई भी आदेश पास किया जाता है तो उसका पालन नहीं होगा.


नकवी: एएसआई के पास सर्वे करने का कोई तंत्र नहीं है. आवेदन में चार हिन्दू महिलाएं उत्खनन को लेकर जोर दे रही हैं. 
चीफ जस्टिस ने उत्खनन को परिभाषित करने वाली डिक्शनरी नकवी को दी.


नकवी: इसका मतलब है कि उन्हें जमीन पर गहरा गड्ढा करना होगा. 
CJ: ढांचा गिरने का खतरा होगा? 


नकवी: हां, बिल्डिंग एक हजार साल पुरानी है. अपेक्षित आदेश में इसकी कोई वजह या निष्कर्षों के बारे में बात नहीं कही गई है. 


नकवी: उपरोक्त आदेश सिर्फ याचिकाकर्ताओं की याचिका पर ध्यान में रखकर दिया गया है. 
नकवी: जज के मन में क्या था, यह आदेश से स्पष्ट नहीं है. वो एएसआई की प्रशंसा कर रहे हैं, अच्छा है. लेकिन यह सर्वे का आदेश पारित करने की वजह नहीं है. इसके पीछे कोई न्यायिक औचित्य नहीं दिखाई देता.
Naqvi: नकवी ने कहा, जब वो (याचिकाकर्ता) बिल्डिंग, वजूखाना के हिस्से पर नियंत्रण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत पाने में नाकाम रहे तो उन्होंने ये याचिका दाखिल की.



CJ: क्या वाराणसी कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कोई विरोधाभास है?


Adv Jain: नहीं, सुप्रीम कोर्ट के आदेश द्वारा सील किसी भी एरिया में कोई सर्वे नहीं होगा.


नकवी: यह इमारत के परिसर का ही एरिया है. अगर वहां कुछ होता है यह भी नष्ट हो जाएगा. यह छोटा इलाका है.


CJ: वाराणसी कोर्ट का आदेश बिल्डिंग गिर जाने या ऐसे किसी भी तथ्य के बारे में कुछ नहीं कहता है.


नकवी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 24 जुलाई को दिए आदेश को पढ़ना शुरू किया: सुप्रीम कोर्ट में यह पाया है कि एएसआई की ओर से एक हफ्ते बाद कोई उत्खनन नहीं किया जाएगा.


CJ (to Naqvi): इमारत गिरने की आशंका आपकी है.


नकवी: ये है, अगर कोई उत्खनन का कार्य होता है तो बिल्डिंग गिर सकती है. एक हफ्ते कोई उत्खनन नहीं होगा, इसका अभिप्राय यह है कि आगे ऐसा किया जा सकता है.
CJ: उन्हें बयान रिकॉर्ड करने दीजिए. मैं इसे आदेश में रिकॉर्ड करूंगा. 
 
Naqvi: अगर यह ढांचा गिरता है वो बताएं कि इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा


CJ: आप यह नहीं कह सकते. एडवोकेट जनरल या एडवोकेट जैन को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. 


CJ: आपके तर्क प्रतिवादियों के जवाब के आधार पर परखे जाएंगे. 


CJ: कोर्ट का सम्मान करते हुए वो किसी भी चीज को ध्वस्त नहीं करेंगे, यह एक निष्कर्ष हो सकता है.


नकवी ने 2022 के आदेश में कही गई बात को रखा.


CJ: सिर्फ मेरी जानकारी के लिए, यह वाद 2-3 साल पहले दायर किया गया था. लेकिन यह विवाद पुराना है. 


नकवी: 1991 से


CJ: सुलह समझौते का कोई प्रयास नहीं किया गया?


Naqvi: काशी विश्वनाथ मंदिर के साथ हमारा समझौता हुआ है. यह निर्णय लिया गया कि याचिकाकर्ता जमीन का कुछ हिस्सा मस्जिद के गार्डरूम के लिए दे देगा. हमने उन्हें कहीं और ज़मीन का एक हिस्सा दें.


Naqvi: मंदिर प्रबंधन और मस्जिद प्रबंधन के बीच कोई विवाद नहीं है. 


CJ: लेकिन इसी के साथ यह भी बात है कि उनके बीच कोई संवाद नहीं हुआ?


Naqvi: संवाद हुआ है, यही वजह है कि जमीन के शांतिपूर्ण ढंग से समझौता हुआ. मंदिर और मस्जिद कमेटी एक दूसरे के खिलाफ नहीं लड़ रही हैं. 


Naqvi: तीसरा पक्ष (Hindu Worshippers) दखल दे रहा है. यह मामले के हित में नहीं है. उन्हें पूजा करने का अधिकार है. 


CJ: आपके अनुसार, ये अपरिपक्व याचिका है, यह मानते हुए कि हम इसे खारिज कर देंगे या वो उसे वापस ले लेंगे.


CJ: लेकिन अगर साक्ष्य इकट्ठे किए जाते हैं, बिल्डिंग को ध्वस्त नहीं किया जाता है तो क्या नुकसान होगा?


CJ ने जैन से कहा: क्या रडार और मशीन को कोर्ट में प्रस्तुत किया जा सकता है?


जैन: एएसआई को ये देखना होगा
CJ ने नकवी से कहा: क्या नुकसान होगा अगर सर्वे कराया जाता है तो?


नकवी: यह न्याय पर कुठाराघात होगा. अगर कुछ भी अवैधानिक तरीके से किया जाता है तो यह न्याय की राह में रोड़ा है.
नकवी: कोर्ट ने कोई निष्कर्ष नहीं दिया है कि सर्वे क्यों जरूरी है. उनके दावों के अनुसार, बहुत सारे साक्ष्य हैं.


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