नोएडा : लगातार बढ़ते अतिक्रमण से नोएडा शहर की सुंदरता खत्म हो रही है. वहीं इससे लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. तमाम उपायों के बाद भी लोग अवैध अतिक्रमण से बाज नहीं आते हैं. ऐसे में अब नोएडा अथॉरिटी ने सख्ती दिखाई है. अथॉरिटी ने लेखपाल और जेई की जिम्मेदारी तय कर दी है. यदि किसी भी इलाके में अवैध अतिक्रमण पाया  जाएगा तो वहां के लेखपाल और जेई की सेवा समाप्त की जाएगी. दरअसल, इनके अलग-अलग क्षेत्र बंटे हुए हैं. अब आगे अवैध निर्माण व अतिक्रमण होने पर जिस जेई व लेखपाल का क्षेत्र होगा उसकी सेवाएं ही अथॉरिटी समाप्त कर देगी. इसी तरह उसके ऊपर उस वर्क सर्कल के प्रभारी सीनियर मैनेजर से लेकर तहसीलदार के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी. यह आदेश अथॉरिटी के सीईओ डॉ लोकेश एम का जारी हुआ है.


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बताया जा रहा है कि अथॉरिटी एरिया में तेजी से हो रहे अवैध निर्माण व अतिक्रमण देख सीईओ भी दंग रह गए. सीईओ का कहना है कि अवैध निर्माण से विकास कार्यों को झटका लगता है. इसलिए अवैध निर्माण व अतिक्रमण रुकवाने के लिए कार्रवाई के लिए यह कदम उठाया जाना जरूरी है. 14 अगस्त को सीईओ की ओर से आदेश होने के बाद पूरे अथॉरिटी में सीईओ की सख्ती को लेकर चर्चा है. इसके साथ ही यह भी तय हो गया है कि अब वर्क सर्कल व लेखपाल स्तर पर फील्ड में निकल कर अवैध निर्माण रोकने की कार्रवाई करनी ही होगी. माना जा रहा है कि इस सख्ती से अथॉरिटी की चिह्नित जमीन भी बची रहेगी. 


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अथॉरिटी की जमीन पर भी अतिक्रमण
नोएडा लगभग16200 हेक्टेयर में बसा हुआ है. इसमें से शहर के आंतरिक हिस्से में बड़े पैमाने पर सरकारी जमीन पर कब्जा है. ग्रीन बेल्ट पर भी इमारतें खड़ी हो गई हैं. इनमें सेक्टरों व गांवों के बीच की बेशकीमती जमीन भी शामिल है जो अरबों रुपये की है. 
यहां सबसे अधिक अवैध कब्जा
सरकारी जमीन पर सफार्बाद, गढ़ी चौखंडी, छिजारसी, ममूरा, बरौला, भंगेल, सलारपुर, चौड़ा, गिझौड़, हरौला, नयाबांस, बख्तावरपुर, नंगली-वाजितपुर, आदि गांवों में बड़ी संख्या में कब्जे हो रहे हैं. सीएजी ने भी वर्ष 2021 तक नोएडा में सरकारी जमीन पर हो रखे कब्जे की जांच की थी. 
कैग की रिपोर्ट क्या कहती है
सीएजी रिपोर्ट के तहत ही नोएडा में 45 लाख 26 हजार 464 वर्ग मीटर जमीन पर अतिक्रमण है. इसकी अनुमानित कीमत एक खरब, 63 अरब 85 करोड़ 79 लाख 96 हजार आठ सौ रुपये है. खास बात यह है कि सीएजी की यह कब्जे की रिपोर्ट अधिकारियों के सर्वे पर कागजी रिकार्ड के तौर पर है. वहीं जमीन इससे भी अधिक हैं.


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