नई दिल्लीः इंडिया में पारंपरिक तौर पर प्रेग्नेंट लेडी और होने वाले बच्चे की परवरिश की जिम्मेदारी केवल मां या फिर परिवार में अन्य महिला सदस्यों की ही मानी जाती है. वहीं, बच्चे के पिता का दैनिक दिनचर्या और कामकाज पहले की तरह ही चलता रहता है. अक्सर देखने में यही आता है और रिसर्च में भी पाया गया है कि भारतीय पुरुष, अपनी गर्भवती पत्नियों की देखभाल में बहुत कम समय देते हैं. इसके अलावा बच्चे के जन्म के बाद उसकी परवरिश में भी पिता की भूमिका कम ही होती है. आज भी यह काम परिवार की महिलाओं के जिम्मे ही आता है. 


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यहां तक की यह आज भी बहुत बड़ी बात मानी जाती है कि पुरुष अपनी पत्नी व बच्चे की देखभाल के लिए छुट्टी लेते हैं. हालांकि, ऐसे उदाहरण तो बहुत कम है, लेकिन शुरुआत तो हुई है. यही वजह है कि जब विराट कोहली और कपिल शर्मा ने बच्चे के जन्म के समय, पत्नी व बच्चे की देखभाल के लिए अपने काम से छुट्टी लेने का फैसला किया, तो यह चर्चा का विषय बना. ये कुछ अच्छे उदाहरण हैं, जिन्हें समाज को बदलते समय के साथ अपनाना चाहिए. आज हम आपको बता रहे हैं कि कैसे और किन राज्यों में पुरुषों को पैटर्निटी लीव मिल सकती हैं.


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पराग अग्रवाल ट्विटर के नए सीईओ हैं, अभी ट्विटर के सीईओ की कमान थामे उन्हें तीन महीने भी नहीं हुए और उन्होंने एक लंबी छुट्टी ले ली. पराग फिर से पिता बनने वाले हैं और वो पैटर्निटी लीव पर जा चुके हैं. पैटर्निटी लीव पर जाने के उनके निर्णय का कंपनी के कर्मचारियों ने भी स्वागत किया है. पराग ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी थी. वहीं, पराग की पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर इस विषय पर बहस छिड़ गई है. लोग दो खेमों में बंट गए. कुछ का कहना है कि पैटर्निटी लीव मिलनी चाहिए, तो कुछ इसे बेकार की चीज मानते हैं. 


ये लोग ले चुके हैं पैटर्निटी लीव 
फेसबुक मूल कंपनी मेटा के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने 2015 और 2017 में पैटर्निटी लीव लेकर सुर्खियां बटोरी थी. इसके अलावा टेनिस प्लेयर सेरेना विलियम्स के पति ओहानियान, विराट कोहली, कपिल शर्मा, शाहिद कपूर, सैफ अली खान और रितेश देशमुख भी बच्चे के जन्म पर छुट्टी ले चुके हैं.


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क्या है पैटर्निटी लीव?
बच्चे के जन्म पर जब पिता मां और बच्चे की देखभाल के लिए जो छुट्टी लेते हैं उसे पैटर्निटी लीव कहते है. बच्चे के जन्म से 15 दिन पहले या 6 महीने के अंदर पुरुष पैटर्निटी लीव ले सकते हैं. इस लीव के तहत पुरुषों को ऑफिस से छुट्टी मिलती है और सैलरी नहीं काटी जाती है. वहीं, महिलाओं को 6 महीने के लिए मैटरनिटी लीव मिलती है. अगर इस अवधि में छुट्टी नहीं ली गई है, तो ये छुट्टी लैप्स हो जाती है. बता दें, लीव अकाउंट से पैटर्निटी लीव को घटाया नहीं जाएगा और न ही लीव की अर्जी को रिजेक्ट किया जा सकता है.


जानें भारत में पैटर्निटी लीव को लेकर क्या नियम हैं
केंद्र सरकार के पुरुष कर्मचारी 15 दिनों का पैटर्निटी लीव ले सकते हैं. 
प्राइवेट कंपनी के कर्मचारियों के लिए कोई नियम तय नहीं है. कई बड़ी कंपनियां इस लीव को देती हैं, तो कई कंपनियां इस कॉन्सेप्ट को नहीं मानतीं
मीशो, फिल्पकार्ट, ओकेक्रेडिट जैसी कुछ कंपनियां पैटर्निटी लीव दे रही हैं. 


इन राज्यों में मिलती है पैटर्निटी लीव 
इंडिया में अभी इसका चलन नहीं है. अगर सरकारी स्तर पर ही इस लीव की बात करें तो देश के कुछ ही राज्यों में पैटर्निटी लीव दी जाती हैं. इसमें दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक मध्य प्रदेश और मेघालय इन राज्यों का नाम शामिल है.


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पैटर्निटी लीव के नियम
मेघालय में 7 दिन पहले या बच्चे की डिलीवरी डेट से लेकर छह माह के भीतर पैटर्निटी लीव से सकते हैं.
इसके अलावा बाकी सभी राज्यों में 15 दिन पहले या बच्चे की डिलीवरी डेट से छह महीने के भीतर पैटर्निटी लीव ले सकते हैं.


क्यों मां के साथ आसानी से बन जाती है बॉन्डिंग? 
इस विषय में चिकित्सकीय और वैज्ञानिक साक्ष्यों की भरमार है, जो कुछ चीजों की तरफ इशारा करते हैं. पहला, मां और बच्चा एक ही इकाई हैं.  प्रेग्नेंट लेडी की अच्छी सेहत के बिना स्वस्थ बच्चे का जन्म संभव नहीं है. दूसरा, प्रेग्नेंसी के समय कुछ सेहत से जुड़ी परेशानियां होती हैं. इसलिए मां और बच्चे, दोनों की स्वास्थ्य देखभाल जरूरी है. भ्रूण और बच्चे के जीवन के पहले 1000 दिन काफी महत्त्वपूर्ण होते हैं. इसमें प्रेग्नेंसी के 9 महीने और जन्म के बाद के दो साल शामिल हैं. बच्चे के करीब 80 फीसदी मस्तिष्क का विकास इन्हीं शुरुआती 1000 दिनों में होता है.


बच्चे की उम्र के दो साल बाद कितने भी कोशिश कर लें, इस अवधि की भरपाई नहीं हो सकती. गर्भ में पलने वाला बच्चा मां का अंश होता है, इसलिए वह जन्म के तुरंत बाद से ही मां को पहचानने लगता है. पिता के लिए यह काम थोड़ा मुश्किल होता है. यही कारण है कि जन्म के बाद कई बार बच्चा पिता को देखकर रोने भी लगता है. अगर आप जन्म से पहले या जन्म के बाद कुछ दिन बच्चे के साथ बिताएंगे तो वह आपको पहचानने लगेगा.


पिता बच्चे से बॉन्डिंग की ऐसे कर सकते हैं शुरुआत 
1. जब पत्नी अल्ट्रासाउंड के लिए जा रही है, तब पति भी साथ जाएं. इस दौरान अल्ट्रासाउंड की पिक्चर देखकर पिता बच्चे की एक छवि बना सकता है. 
2. 23 हफ्ते के बाद गर्भ में पल रहे बच्चे की सुनने की क्षमता डेवलप हो जाती है. जब बच्चा पेट में किक मार रहा है तो उस दौरान पिता को भी बच्चे से बातचीत शुरू कर देनी चाहिए. ऐसे में बच्चा आपकी आवाज पहचानने लगता है.
3. मां के साथ पिता को भी डिलीवरी से जुड़ी जरूरी जानकारी पता होनी चाहिए. रिसर्च में यह बात सामने आई है कि बच्चा पेट में रहने के दौरान जो धुन सुनता है, पैदा होने के बाद उसी धुन को सुनने पर पॉजिटिव रिस्पॉन्स करता है.


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