अब्दुल सत्तार/झांसी: गणित के इतिहास की साधना में पूरी जिंदगी बिता देने वाले झांसी के प्रोफेसर राधाचरण गुप्त को पद्मश्री सम्मान का ऐलान होने के बाद शहर में खुशी का माहौल है. बड़ी संख्‍या में लोग उनके घर शुभकामनाएं देने पहुंच रहे हैं. 


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88 की उम्र में भी कर रहे अध्‍ययन 
सार्वजनिक आयोजनों से दूर रहकर बेहद सादगीपूर्ण जिंदगी बिताने वाले प्रोफेसर गुप्त ने अपना अधिकांश जीवन भारतीय गणित के अध्ययन, शोध और लेखन को समर्पित किया. 88 वर्ष की की उम्र में भी वे अध्ययन और लेखन के काम में ही अपना अधिकांश समय बिताते हैं. 


लोगों की जिज्ञासा पूरी हुई 
प्रोफेसर राधाचरण गुप्त ने बताया कि लोग अक्सर हमसे पूछते थे कि आपने इतना काम किया है, लेकिन भारत सरकार या किसी और से कोई सम्मान क्यों नहीं मिला. अब वह मिल गया तो लोगों की जिज्ञासा पूरी हो गई. हमें अच्छा लगा कि भारत सरकार ने हमारे काम को मान्यता दी है. हम धन्यवाद देते हैं. 


गणित को और सरल बनाने की जरूरत 
प्रोफसर गुप्त ने बताया कि वैदिक गणित कई तरह का होता है. हमने जो वैदिक गणित पर काम किया है, वह उसके साहित्य पर काम किया है. गणित पढ़ाई जिस रूप में होती है, वह मनोरंजक नहीं है, इसलिए इसको बेहतर करने की जरूरत है. सरलीकरण करके और मनोरंजक बनाकर बच्चों का डर दूर किया जा सकता है. उच्च शिक्षा के स्तर पर यह निर्भर करता है कि बच्चे की उसमें रुचि है अथवा नहीं है. छोटे बच्चों को गणित पढ़ाने के लिए उसे मनोरंजक बनाने की जरूरत है.  


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