Jhansi News: यूपी के झांसी में चलती है `पति-पत्नी एक्सप्रेस`, बेहद दिलचस्प है कहानी, जानिए क्या है पूरा माजरा
Jhansi News: उत्तर प्रदेश (Uttarpradesh) के झांसी (Jhansi) जिले में इन दिनों यूपी रोडबेज (UP Roadways) की एक बस चर्चा का विषय बनी है. इस रोडवेज बस के ड्राइवर, कंडक्टर की कहानी बेहद दिलचस्प है. जानिए क्या है पूरा माजरा...
अब्दुल सत्तार/झांसी: झांसी से उरई के बीच चलने वाली यूपी रोडवेज की एक बस इन दिनों खासी चर्चा में है. इसका कारण यह है कि ड्राइवर की सीट पर बैठते हैं सुरेंद्र राठौर. जबकि यात्रियों का टिकट काटने यानी कंडक्टर की जिम्मेदारी निभाती हैं सुरेंद्र की पत्नी संगीता राठौर. जिस बस को ये पति-पत्नी लेकर रवाना होते हैं उस बस का नाम ही लोगों ने रख दिया है पति पत्नी एक्सप्रेस. ड्राइवर और कंडक्टर के रूप में रोडवेज में ड्यूटी कर रहे पति पत्नी संविदाकर्मी के रूप में कार्यरत हैं. दोनों एक ही बस में ड्यूटी क्यों करते हैं, इसकी भी लम्बी कहानी है.
दरअसल जालौन जिले की रहने वाली एमए पास संगीता का पांच साल पहले उरई रोडवेज डिपो में संविदा कंडक्टर की नौकरी तो मिल गई लेकिन ड्राइवर उसकी ड्यूटी अपने साथ लगवाने को तैयार नहीं होते थे. इसका सबसे कारण यह था कि महिला ड्राइवर के साथ होने पर उन्हें खर्चा पानी यानी ऊपरी आमदमी की उम्मीद कम रहती थी. दूसरा कारण यह था कि ज्यादातर ड्राइवर यह मानते थे कि महिला कंडक्टर के साथ बस का परिचालन करना मुश्किल है और ऐसे में उसकी ड्यूटी भी बेहद कम लगती थी. ऐसे में संविदा नौकरी होने के कारण उसे पेमेंट भी बहुत कम मिल पाता था. इस तरह उसने लगभग छह महीने की नौकरी काटी.
संगीता के पति किसी दुकान में काम करते थे. रोडवेज में संविदा ड्राइवर की जगह निकली तो उसने अपने पति को भर्ती के लिए प्रेरित किया और उसके पति का भी रोडवेज उरई डिपो में संविदा चालक के रूप में सेलेक्शन हो गया. ड्राइवर के रूप में सुरेंद्र के सेलेक्शन के बाद संगीता ने विभाग के अफसरों को ड्यूटी कम मिलने की शिकायत की तो अफसरों ने प्रयोग के तौर पर एक फार्मूला निकाला. दोनों की ड्यूटी एक ही बस पर लगाई जाने लगी तो किसी तरह की शिकायत और समस्या आना बंद हो गया और देखते ही देखते यह जोड़ी और सफर दोनों ही हिट हो गए. रोडवेज में महिला कंडक्टर की भूमिका निभाने वाली संगीता को विभाग की ओर से सम्मानित भी किया जा चुका है.
जी मीडिया से बातचीत में संगीता बताती हैं कि परिवार पालने के लिए इस नौकरी में आईं. कंडक्टर की नौकरी मिल जाने के बाद भी ड्यूटी मिलना बहुत मुश्किल होता था. पुरुष ड्राइवरों को लगता था कि मुझे साथ में ड्यूटी करवाने से उनके खर्चे पानी की व्यवस्था नहीं हो पाएगी. पति दुकान पर नौकरी करते थे. बाद में पति भी रोडवेज में आ गए तो एक एआरएम साहब ने हम दोनों की ड्यूटी साथ लगा दी तब से हमारी मुश्किल खत्म हो गयी. संगीता के पति सुरेंद्र कहते हैं कि पत्नी को कोई ड्राइवर नहीं मिलता था. इसके बाद मैं भी रोडवेज में भर्ती हो गया. हम लोग झांसी से उरई के बीच बस लेकर चलते हैं.