Popular Front of India History: उत्तर प्रदेश समेत देश के 12 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के ठिकानों पर छापेमारी हुई है. इसी को लेकर यूपी के मथुरा, वाराणसी, शामली समेत कई जिलों से एटीएस ने छापा मारा है, जिसमें कई लोगों को हिरासत में लिया गया है. इससे पहले भी कर्नाटक में शिक्षण संस्थानों में हिजाब का मामला हो या हाथरस मामले में हिंसा भड़काने की साजिश रचने के आरोप, पीएएफआई के तार इनसे जुड़ते दिखाई दिए. लेकिन पीएफआई पर ये रेड क्यों हो रही है, साथ ही इस संगठन का इतिहास क्या है. आइए जानते हैं. 


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देशभर में गुरुवार को एनआईए और ईडी ने  PFI से जुड़े लोगों और ठिकानों पर बड़ी छापेमारी की है. रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी समेत 12 राज्यों से एनआईए और ईडी ने रेड में 100 से ज्यादा PFI सदस्यों को गिरफ्तार किया है. साथ ही पीएफआई अध्यक्ष ओमा सलाम को भी हिरासत में लिया गया है.ये छापेमारी आतंकी गतिविधियों के संचालन, प्रशिक्षण शिविर चलाने और प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए लोगों को कट्टरपंथी बनाने में शामिल व्यक्तियों के आवासीय और आधिकारिक ऑफिस में की जा रही है.


2006 में हुई थी PFI की स्थापना
 PFI पर साम्प्रदायिक दंगों को भड़काने और नफरत का माहौल तैयार करने के आरोप लगते रहे हैं.पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के इतिहास की बात करें तो इसकी स्थापना साल 2006 में केरल में हुई थी. जब दक्षिण भारत के तीन मुस्लिम संगठनों, केरल का नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) कर्नाटक का फॉरम फॉर डिग्निटी (Forum for Dignity), और तमिलनाडु के मुस्लिम संगठन MNP का विलय कर इस संगठन को बनाया गया था. दावे के मुताबिक संगठन की 20 राज्यों में यूनिट है. संगठन का मुख्यालय पहले केरल के कोझिकोड में था, जिसे दिल्ली में शिफ्ट कर दिया गया.वर्तमान में ओएमए सलाम  PFI का अध्यक्ष और अब्दुल रहीमान उपाध्यक्ष है.


स्थापना के बाद से ही पीएफआई का नाम विवादों से जुड़ता रहा. PFI पर प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के साथ कनेक्शन के आरोप लगे. इसके पीछे की वजह पीएएफआई के चेयरमैन से लेकर ज्यादातर नेता कभी सिमी के सदस्य रह थे. हालांकि संगठन इन आरोपों को नकारता रहा है. PFI खुद को दलितों और मुसलमानों के हक में लड़ने वाला संगठन बताता है. वहीं, दिल्ली में दंगे भड़काने, शाहीन बाग के आन्दोलन को फंडिंग करने, केरल में राजनीतिक हत्याओं की योजना बनाने और जबरन धर्म परिवर्तन के भी कई मामलों में पीएफआई का नाम सामने आ चुका है.


PFI पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर दिल्ली और उत्तर प्रदेश में हिंसा भड़काने आरोप है. जिसकी भूमिका को लेकर जांच की रही है. बीते साल मार्च 2021 में यूपी एसटीएफ ने शाहीन बाग में स्थित PFI के दफ्तर की तलाशी ली थी. इसके अलावा कथित रूप से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप भी लगते हैं.जिसकी ईडी जांच कर रही है.