Sawan Somwar 2022: सावन में शिवलिंग पर न चढ़ाएं ये पांच चीजें, शंख से जल तो बिलकुल नहीं
भोलेनाथ का प्रिय महीना सावन 14 जुलाई 2022 से शुरू हो रहा है.सावन का पहला सोमवार 18 जुलाई को पड़ेगा. इस पूरे महीने भगवान महादेव की पूजा अर्चना की जाती है. ऐसी मान्यता है कि महादेव सिर्फ जल चढ़ाने से ही प्रसन्न हो जाते हैं.
शिव पूजा में न चढ़ाएं हल्दी और नारियल पानी सावन के दिनों में भोलेबाबा की पूजा करते समय हल्दी का इस्तेमाल भी नहीं किया जाता है. इसके साथ ही भोले शंकर को नारियल पानी भी नहीं चढ़ाया जाता है.
शिव को न चढ़ाएं टूटे हुए चावल
शिव को न चढ़ाएं टूटे हुए चावल चावल वैसे तो हर पूजा में इस्तेमाल होता है. पर अक्षत का इस्तेमाल करते समय कुछ बातों का जरूर ध्यान रखना चाहिए. टूटे हुए चावल अपूर्ण और अशुद्ध माने जाते हैं. भगवान शिव को टूटे हुए चावल नहीं चढ़ाना चाहिए. जब भी चढ़ाएं पूर्ण अक्षत ही चढ़ाएं.
शिव की पूजा में न चढ़ाएं तिल
शिव की पूजा में न चढ़ाएं तिल हिंदू धर्म में सावन का महीने का बहुत महत्व होता है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि तिल भगवान विष्णु के मैल उत्पन्न हुआ है इसलिए भगवान शिव को तिल नहीं चढ़ाया जाता है.
नहीं चढ़ाएं तुलसी
नहीं चढ़ाएं तुलसी सावन के पवित्र महीने में भगवान भोले को खुश करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए. सोमवार को भगवान शंकर की पूजा में तुलसी दल का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. भोलेनाथ को तुलसी का पत्ता कभी नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने तुलसी के पति असुर जलंघर का वध किया था.
शंख से न चढ़ाएं जल
शंख से न चढ़ाएं जल सावन के पहले सोमवार को भगवान शंकर को खुश करने के लिए उनकी पसंद की चीजें चढ़ानी चाहिए. पूजा करते समय शंख से जल अर्पित नहीं किया जाता है. सनातन धर्म में शंख को अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है. यही वजह है कि प्रत्येक पूजा में इसका प्रयोग किया जाता है. लेकिन भोलेनाथ की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता है. यही नहीं शिवजी को गलती से भी शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है। शिवपुराण में इस बारे में पूरी जानकारी मिलती है। आइए जानते हैं…