मोहम्मद तारिक़/पीलीभीत : यूपी के पीलीभीत के कुरैया खुर्द कला गांव के एक शख्स ने अस्पताल में जमकर बवाल काटा. बच्चों के साथ अस्पताल पहुंचे शख्स का कहना था कि उसे किडनी बेंचना है, जिसके भूमि विकास बैंक का कर्ज भर सके. अस्पताल में मौजूद डॉक्टर व अन्य लोगों से अपने अंग बेचने की जानकारी करने लगा. अस्पताल में खड़े लोगों ने पूछा आखिर अंग बेचकर क्या करोगे तो उसने बताया 2004 में पिता पृथ्वीराज सिंह ने पशुपालन के लिए भूमि विकास बैंक से 60 हजार का ऋण लिया था. पिताजी की मृत्यु हो गई. डेढ़ एकड़ जमीन पर भू माफिया कब्जा करे हुए हैं. कुछ बची जमीन पर उसने गेहूं लगाया. आवारा पशुओं ने गेहूं की फसल उजाड़ दी. इसलिए वह कर्ज नहीं चूकता कर सका. 


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किसान का कहना है कि ''अब हर दूसरे तीसरे दिन भूमि विकास बैंक के फिल्ड ऑफिसर अन्य लोगों के साथ घर पर जाकर बेईज्जती करते हैं. ऋण को लेकर काफी मानसिक तनाव रहता हैं. इसी की वजह से किसान अजीत सिंह काफी तनाव में रहता है. उसका कहना है बैक ऋण जमा करने के लिए और कोई व्यवस्था नहीं है. इसी के चलते सरकारी अस्पताल में अपना अंग किडनी बेचने के लिए सरकारी अस्पताल में भटक रहा हूँ, जिससे अंग बेचकर ऋण जमाकर भूमि विकास बैंक के कर्मचारियों से अपना पीछा छुड़ा सके. उच्च अधिकारियों से बैंक के कर्मचारियों व भू माफियाओं की शिकायत करने पर भी समस्या का समाधान नहीं हुआ है. ''


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मामले की जांच जरुरी
एक व्यक्ति आखिर 20 साल का समय मिलने पर भी कर्ज वापस क्यों नहीं कर सका. क्या वह सच में कर्ज चुकाना चाहता था, या फिर उसने कर्ज न चुकाने ही ठीन ली है. इन सभी सवालों पर भी गौर करना होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी भी बैंक द्वारा कर्ज अच्छे उद्देश्य के लिए दिए जाते हैं. उन्हें चुकाने के लिए समय-समय पर योजनाएं और रियायत दी जाती हैं. लेकिन अक्सर देखने में आता है कि लोग कर्ज लेकर उसे भूल जाते हैं. ऐसे में जरुरत है योजनाओं का सही तरीके से लाभ लेने की न की बवाल काटने की. वहीं कर्जदार की परिस्थितियों को भी मानवीय आधार पर देखना होगा.