कुलदीप नेगी/देहरादून: लैंसडाउन का नाम बदलकर कालो डांडा करने के प्रस्ताव को लेकर अब राजनीति शुरू हो गयी है. बीजेपी,कांग्रेस इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने कहा है कि जो समझदार लोग होते हैं वह अपने इतिहास को अपनी धरोहरों को बचाकर रखते हैं. इतिहास गवाह है जिन-जिन लोगों ने अपने इतिहास को नष्ट करने की कोशिश की है वह देश आज बहुत पीछे हैं. नाम बदलने से अच्छा होता कि वहां की सुविधाएं बढ़ाई जाती. वीरों के नाम से बड़े इंस्टिट्यूट खोले जाते अस्पताल आधुनिक बनाए जाएं. लैंसडाउन का अपना एक नाम है.


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करन माहरा का कहना है कि मैं मुख्यमंत्री से उम्मीद करूंगा कि वह लैंसडौन में 300 नाली में बना एक स्कूल है जिसे कि तोड़ दिया गया. उसके लिए पैसा जारी करवाएं वो ऐतिहासिक धरोहर भी है. अगर उस इंटर कॉलेज को भव्य और आवासीय बनाया जाए तो नाम बदलने से ज्यादा बेहतर होगा. वहां के छात्रों को उसका फायदा होगा. नाम बदल की राजनीति करना ठीक नहीं है और इतिहास कई चीजें सिखाता है. इतिहास से हम सीख सकते हैं.हमने देखा है कि कैसे ईस्ट इंडिया कंपनी ने हमारा शोषण किया. आज भी सरकार और सरकार के कुछ मित्र गुलाम बनाने की कोशिश में हैं. लैंसडौन जैसे मुद्दे हमें सतर्क करते हैं.


बीजेपी ने किया पलटवार


बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि कांग्रेस की नीति कभी राष्ट्रवादी रही नहीं. देश विभाजन करने वाली कांग्रेस देश जोड़ने का नारा देती है तो प्रश्न खड़ा होना स्वाभाविक है.पहली बार देश के अंदर राष्ट्रीय बिंदुओं के प्रति श्रद्धा का वातावरण बना है. गुलामी के प्रतीकों को समाप्त करना चाहते हैं. 


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विधानसभा सत्र में उठेगा मुद्दा
विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर चर्चाएं तेज हो गई है. कांग्रेस पार्टी का कहना है कि अब विधानसभा का सत्र देहरादून में ही होना चाहिए क्योंकि जिस तरह से ठंड हो रही है. ऐसे में विधानसभा का सत्र गैरसैंण में वाजिब नहीं है क्योंकि वहां पर पुलिस प्रशासन के साथ जाने वाले अन्य लोगों को रहने में असुविधा होती है. जब भाजपा ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया है तो गर्मियों में ही वहां सत्र होना चाहिए. विधानसभा अध्यक्ष 31 अक्टूबर को विधानसभा सत्र को लेकर बैठक करने जा रही हैं जिसमें यह फैसला हो सकता है कि सत्र कहां और कितने दिनों के लिए होगा.