नितिन श्रीवास्तव/बाराबंकी: कहते हैं प्रयास अगर सही दिशा में हो और साफ नियत से साफ किया जाए तो कुछ भी संभव है. मेहनत और लगन के साथ यूपी के बाराबंकी जिले में रमणीक स्थल का एक बेहतर मॉडल पेश किया गया है. जो यूपी के अन्य जिलों के लिए किसी मॉडल से कम नहीं है. खास बात ये है कि सरकार द्वारा बनाए जा रहे अमृत सरोवर का बेहतरीन प्रबंधन करके इसे तैयार किया गया है.


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डिप्टी सीएम ने की है सराहना
बाराबंकी के विकास खण्ड मसौली की रसौली गांव में नव विकसित अमृत सरोवर का ये मॉडल बनाया गया है. सरोवर के किनारे लहराती हरियाली, नीले स्वच्छ पानी में हिलोरे मारतीं बतखें, बरगद-पीपल और पाकड़ की टहनियां, मन को काफी सुकून दे रही हैं. इस मनोरम जगह पर भ्रमण के लिए चारों तरफ पाथवे बनाया गया है. यहां के वातावरण को यहां बैठकर महसूस करने के लिए बेंच भी लगाए गए हैं. दरअसल, प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस अमृत सरोवर के कायाकल्प के लिये बीडीओ डॉ. संस्कृता मिश्रा और उनकी टीम की जमकर सराहना की है.


मात्र 3 महीने में हुआ कायाकल्प
आपको बता दें कि इस पोखर को पहले सहस्त्रगन्डी तालाब के रूप में जाना जाता था. जिसे अब अमर शहीद कामता प्रसाद अमृत सरोवर के रूप में विकसित किया गया है. आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर बीडीओ डॉ. संस्कृता मिश्रा ने इसकी नींव रखा. जिसके बाद मात्र तीन महीने में एक एकड़ में फैले तालाब को ऐसा नया रूप दे दिया गया.


अमृत सरोवर के पास की गई है ये व्यवस्था
सरोवर पर पानी एकत्रित करने के लिए खुदाई कराई गई है. साथ ही इसके किनारे छायादार और फलदार पौधे लगाए गए हैं. इसके अलावा टहलने के लिए पाथवे बनाया गया है. बाउंड्रीवाल पर बेहतरीन स्लोगन की पेंटिंग के साथ ही सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है. ताकि आने वाले लोग अपने स्मार्टफोन से सेल्फी लेकर इसे अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लें.


गांव में नहीं थी ऐसी कोई आकर्षक जगह
बैठने के लिए बीच-बीच में आकर्षक बेंच भी रखी गई हैं. साथ ही परिसर में रंगबिरंगी हटनुमा बैठक भी बनाई गयी हैं.  जहां लोग धूप में भी बैठ कर भी आराम कर सकते हैं. जानकारी के मुताबिक रसौली और इसके मजरों में ऐसा कोई स्थल नहीं था, जहां लोग सुबह-शाम समय गुजार सके. ऐसे में अमृत सरोवर योजना ने इस कमी को दूर कर दिया है. जिसकी ग्रामीण भी जमकर तारीफ कर रहे हैं.


सहस्त्रगन्डी के नाम से जाना जाता था ये सरोवर
आपको बता दें कि इस पोखर को पहले सहस्त्रगन्डी तालाब के रूप में जाना जाता था. यहां पर सती खत्राणी माता का मंदिर भी है. जहां प्रत्येक पूणिमा को सैकडों भक्त मंदिर की परिक्रमा करते हैं. इसके अलावा सालों पुराना शिव मन्दिर भी इस सरोवर के परिसर में है. ऐसे में यह पोखर पहले से ही दर्शनीय स्थल था, लेकिन अब अमृत सरोवर के रूप में विकसित होने के बाद इसने अब पर्यटक स्थल के रूप ले लिया है.


खंड विकास अधिकारी ने दी जानकारी
इस मामले में खण्ड विकास अधिकारी डॉ. संस्कृता मिश्रा ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण के साथ रमणीक स्थल के रूप में अब यह सरोवर अब विकसित हो चुका है. इस सरोवर के बन जाने से रसौली के गांवों का भूजल स्तर भी सुधरेगा. साथ ही लोगों को गांव में ही ऐसे मनोरम स्थल पर जाने का मौका मिलेगा.


तालाब बना रमणीक स्थल का मॉडल
बीडीओ ने बताया कि इस पवित्र अमृत सरोवर में गांवों का गंदा पानी न आए इसके लिए कार्य किया गया है. अमृत सरोवर में पानी की कमी न हो, इसके लिए तालाब पर बोरिंग कराई गई है. जिससे सरोवर में हमेशा शुद्ध और स्वच्छ जल रहे. यहां प्रकाश की भी उचित व्यवस्था की गई है. ताकि रात के समय भी लोग यहां आ सकें. देखते ही देखते यह सरोवर वर्षा जल संचयन के साथ ही यह रमणीक स्थल के रूप में विकसित हो चुका है.


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