मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में कंपनी बाग के नाम से प्रसिद्ध सिविल लाइंस स्थित चंद्रशेखर आजाद पार्क को अत्याधुनिक करने के लिए एक निजी भूमि सर्वेक्षक परियोजना परामर्श अभियंता द्वारा बनाए गए ले-आउट प्लान को निरस्त कर दिया है.  साथ ही राज्य सरकार को नए सिरे से लेआउट प्लान तैयार करने का निर्देश दिया है. यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति और न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने जितेंद्र सिंह विशन व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है.


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ले-आउट प्लान में गड़बड़ियां
निजी भूमि सर्वेक्षक द्वारा तैयार किए गए ले-आउट प्लान में कुछ गड़बड़ियां पाईं गईं हैं और सरकारी वकील से कोर्ट ने पूछा है कि एक निजी सर्वेक्षक क्यों नियुक्त किया गया था जिसका संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया.


योजना के मुताबिक नहीं किया आवश्यकताओं को पूरा
कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से योजना तैयार की गई है वह पार्क की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती. पार्क में हुए निर्माण की उपयोगिता नहीं बताई जा सकी. जिस स्थान पर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण न्यौछावर किए, योजना में उसका उल्लेख ही नहीं किया गया है. कोर्ट ने अगली सुनवाई एक सितंबर तय करते हुए नए प्लान के तहत अधिकारियों को हाजिर रहने को कहा है.


पहले भी कोर्ट ने दिए थे पार्क को लेकर निर्देश
कोर्ट ने इसके पहले 13 जुलाई 2022 को राज्य सरकार को चंद्रशेखर आजाद पार्क के अपग्रेडेड करने के लिए लेआउट प्लान पेश करने का निर्देश दिया था. कहा गया था कि पार्क में मौजूद निर्माण और क्षेत्र के विकास को दर्शाया जाए और अवैध‌ निर्माण हटाया जाए.  कोर्ट ने पार्क में बनी कब्रों, मजारों या मस्जिद समेत सभी अतिक्रमणों को हटाने के लिए कहा था. साथ ही वकीलों की टीम भेजी थी.  बताया गया कि अंग्रेजी गजेटियर में उल्लेख है कि कर्नल नील ने तीन घंटे, चालीस मिनट में लगभग 640 मेवातियों को फांसी दी थी और कुल मिलाकर 6 हजार, 746 लोग मारे गए थे. कोर्ट ने गजेटियर की प्रति मांगी है.


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