गाजियाबाद: हरियाणा से सात साल पहले लापता हुए सात वर्षिय लक्ष्मण नाम बच्चे के लिए शायद परिवार वालों की आंखे भी सूख चुकी थीं. परिजनों ने बच्चे के मिलने की उम्मीद छोड़ दी होगी, मगर सात साल बाद ऐसा करिश्मा हुआ जिसकी किसी ने उम्मीद नहीं की होगी. पंजाब पुलिस ने इस बच्चे को घर पुहंचा दिया है. बच्चे के घर वालों का पता लगाने का काम पंजाब पुलिस के सब इंस्पेक्टर राजेश सिंह को सौंपा गया, जो अब अब तक 750 से ज्यादा बच्चों को उनके परिवारों से मिलवा चुके हैं.


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यहां से लापता हुआ था लक्ष्मण
जानकारी के मुताबिक लक्ष्मण रेवाड़ी के एक गांव का रहने वाला है. वह स्टेशन पर खेलते-खेलते किसी ट्रेन में चढ़ गया और गाजियाबाद में आकर उतर गया. उस समय लक्ष्मण को यह भी याद नहीं था कि उसका घर कहां है. बच्चे को लावारिस पाकर गाजियाबाद पुलिस ने उसे बाल अनाथालय घरौंडा के संरक्षण में पहुंचा दिया. दस वर्ष का होने तर वह यहीं रहा. इसके बाद उसे दूसरे अनाथाश्रम सलाम बालक में पहुंचाया गया, जहां दस वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को रखा जाता है. दोनों अनाथालय सरकारी संस्था चाइल्ड वेलफेयर कमिटी की देखरेख में संचालित किए जाते हैं. 


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बच्चे के माता-पिता को ढूंढने का काम पंजाब पुलिस के ह्यूमन ट्रैफिकिंग में काम करने वाले असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर राजेश सिंह को सौंपा गया. राजेश सिंह ने बच्चे की डिटेल लेकर परिजनों की खोजबीन शुरू की. बच्चे के विवरण में दर्ज पहचान के आधार पर इससे मिलते-जुलते मामलों को खंगाला गया. तीन महीने की कड़ी मेहनत के बाद राजेश सिंह ने लक्ष्मण को उसके मां-बाप तक पहुंचा दिया. लक्ष्मण के परिजन उसके मिलने की आस छोड़ चुके थे, मगर जब लक्ष्मण को उन्हें सौंपा गया तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. बेटे के मिलने के बाद मां के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं. 


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