प्रमोद कुमार गौड़/कुशीनगर :  मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम बजट में कुशीनगर को बड़ी सौगात दी है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीता रमन द्वारा संसद में प्रस्तुत बजट में कुशीनगर को रेल लाइन से जोड़ने की घोषणा की गई है. 64 किलोमीटर लंबी इस रेललाइन के लिए 2019 में 1359 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी. यह रेल लाइन गोरखपुर से कुशीनगर होते हुए पडरौना को जोड़ती है. मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम बजट में 10 करोड़ रुपये का आवंटन किया है. जिससे अब इसका डीपीआर तैयार कर कार्य शुरू किया जा सके. भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली को पहले हाइवे फिर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से जोड़ने के बाद अब रेलवे से जोड़ने के लिये काफी वर्षों से कवायद की जा रही थी. कुशीनगर अगर रेललाइन से जुड़ जाता है तो इससे जहां पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. 


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पर्यटकों का पहुंचना होगा आसान


कुशीनगर भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली होने के साथ साथ एक इंटरनेशनल टूरिज्म सर्किट के रूप में भी मशहूर है. कुशीनगर में लाखों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक हर साल आते हैं. कुशीनगर पहुंचने का एक मात्र जरिया सड़क मार्ग ही है जिसमे पर्यटको को आर्थिक नुकसान के साथ साथ समय की भी बर्बादी होती है. यातायात के बेहतर साधन ना उपलब्ध होने के कारण बहुत सारे पर्यटक वाराणसी ,बोधगया,और लुम्बनी से वापस चले जाते है, जिसका नुकसान कुशीनगर को उठाना पड़ता है. 


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कुशीनगर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए देवरिया जिले के हेतिमपुर तक इस छोटी रेलवे लाइन को बिछाया गया था, जिससे इन क्षेत्रों से गन्ना लाने के लिए 33 किलोमीटर के इस ट्रैक पर तीन स्टेशन बनाए गए थे. सरैया चीनी मिल प्रबंधन के पास तीन भाप से चलने वाले ट्रेनों के इंजन थे. इनके जरिए आसपास के गन्नों की ढुलाई की जाती थी. वर्ष 1998 में इस चीनी मिल को बन्द कर दिया गया जिस वजह से अब यह छोटी रेलवे लाइन जहां अब कबाड़ हो रही है. केंद्र सरकार ने भी इस रेललाइन के जरिये ही गोरखपुर रेलवे लाइन को कुशीनगर से जोड़ने को लेकर बजट दिया है. छोटी रेलवे लाइन हेतिमपुर तक होने के चलते इसे आगे बढ़ाने के लिए छोटी गंडक नदी पार करवा कर कुशीनगर जिले में प्रवेश करवाने को लेकर महज 6 किमी बढ़ाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करना होगा, जिसके सर्वे का काम 3-4 साल पहले ही पूरा किया जा चुका है.


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