Ramadan 2023 : उत्तर प्रदेश में रमजान के पहले कई जिलों में मस्जिदों से लाउडस्पीकर (Mosque Loudspeaker Ban) हटाने की शिकायतों का सरकार ने संज्ञान लिया है. उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अशफाक सैफी अध्यक्षने कहा कि रमजान का महीना शुरू हो रहा है. शासन को एक पत्र लिखा गया है, जिसमें यह कहा गया है कि रमजान के मौके पर मस्जिदों के बाहर साफ-सफाई रखी जाए. कई जगहों पर यह शिकायतें आ रही हैं कि मानक के अनुसार जो लगे लाउडस्पीकर हैं, उनको अति उत्साहित पुलिसकर्मी हटा रहे हैं. बिजनौर और तमाम जगहों पर शिकायतें आई हैं. इसको लेकर सभी जिलों के डीएम और पुलिस कप्तानों को भी पत्र लिखा गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल मस्जिदों, मंदिर औऱ अन्य धर्मस्थलों पर तेज आवाज करने वाले लाउडस्पीकरों को हटाने का अभियान चलाया था. इसमें करीब 4 हजार से ज्यादा लाउडस्पीकर हटाए गए थे. तमाम धर्मस्थलों ने स्वयं ही लाउडस्पीकर हटा लिए थे या तय मानकों के तहत ही आवाज करने के नियम का पालन किया था. योगी सरकार का यह अभियान बेहद शांतिपूर्ण ढंग से चला था.


क्या है मानक और क्या नियम
ध्वनि की मात्रा को मापने की यूनिट को डेसिबल (dB) कहते हैं. ज्‍यादा आवाज मतलब ज्‍यादा डेसिबल. अच्छी नींद के लिए आसपास रहने वाला शोर 35 डेसिबल से ज्यादा ना हो और दिन के समय 45 डेसिबल तक ही हो. इससे ज्‍यादा होने पर स्‍वास्‍थ्‍य पर असर पड़ता है.मोटर कार, बस, मोटर साइकिल, स्कूटर, ट्रक आद‍ि का साउंड लेवल लगभग 


 90 डेसिबल त‍क होता है. इसी तरह सायरन की साउंड लेवल 150 डेसिबल तक होता है. जब हम किसी के कान में बात करते हैं तब आवाज का लेवल लगभग 20 डेसिबल होता है. पटाखे लगभग 100 से 110 डेसिबल आवाज पैदा करते हैं.फ्रिज से आने वाली आवाज 40 डेसिबल होती है.


लाउडस्‍पीकर की आवाज को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दो आदेश हैं। पहला आदेश 18 जुलाई 2005 का है तो दूसरा 28 अक्‍टूबर 2005 का। ध्वनि प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट का सबसे अहम फैसला 18 जुलाई, 2005 का है. इसमें कोर्ट ने कहा था कि हर व्यक्ति को शांति से रहने का अधिकार है और यह अधिकार जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्सा है.


फैसले में क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने 
लाउडस्पीकर या तेज आवाज में अपनी बात कहना अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार में आता है, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी जीवन के अधिकार से ऊपर नहीं हो सकती। कोर्ट ने आगे कहा क‍ि किसी को इतना शोर करने का अधिकार नहीं है जो उसके घर से बाहर जाकर पड़ोसियों और अन्य लोगों के लिए परेशानी पैदा करे. कोर्ट ने कहा था कि शोर करने वाले अक्सर अनुच्छेद 19(1)ए में मिली अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार की शरण लेते हैं। लेकिन कोई भी व्यक्ति लाउडस्पीकर चालू कर इस अधिकार का दावा नहीं कर सकता.


ध्वनि प्रदूषण नियम 
वर्ष 2000 में बनाया गया और नाम दिया गया बने ध्वनि प्रदूषण (अधिनियम और नियंत्रण). कानून की पांचवीं धारा लाउडस्पीकर्स और सार्वजनिक स्थानों पर आवाज के स्तर को लेकर बात करता है। इसके साफ-साफ कहा गया है क‍ि किसी भी सार्वजनिक स्‍थान पर आवाज वाले आयोजन के लिए प्रशासन से लिख‍ित मंजूरी लेनी होगी. इसके अलावा रात 10 से सुबह 6 बजे के बीच लाउडस्पीक नहीं बजा सकते.


कहां कितना शोर मान्य
हालांकि जहां आबादी रहती है, वहां साउंड की सीमा सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक 55 डेसिबल तो रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक 45 डेसिबल तक ही होना चाह‍लिए. व्यावसायिक क्षेत्र में ज्‍यादा से ज्‍यादा 65 से 75 डेसिबल तक साउंड हो सकता है। अगर इस कानून का पालन न किया जाये तो कानून में पांच साल तक की जेल या एक लाख रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। देश के अलग-अलग राज्यों ने क्षेत्रों के अनुसार साउंड की सीम तय कर रखी है। लेकिन कहीं भी ये सीमा 70 डेसिबल से अधिक नहीं है.


 


Watch: उमेश पाल हत्याकांड में बड़ा खुलासा, माफिया अतीक पत्नी ने शूटरों को दिये थे एक लाख रुपये, 16 स्मार्टफोन और सिम