Republic Day 2023: इस साल 26 जनवरी को देश 74वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है. राष्ट्रीय पर्व को लेकर हर तरफ तैयारियों का दौर जारी है. दिल्ली के कर्तव्य पथ पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू तिरंगा झंडा फहराएंगी. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ इस साल के मुख्य अतिथि मिस्त्र के राष्ट्रपति अब्देल फतेह अल सिसी भी मौजूद रहेंगे. लेकिन क्या आपको मालूम है कि गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं और स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ध्वजारोहण करते हैं. दोनों राष्ट्रीय पर्व पर प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति किसी एक द्वारा ही ऐसा क्यों नहीं किया जाता. चलिए आइए जानते हैं. 


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ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर 
15 अगस्त (स्वतंत्रता दिवस) और 26 जनवरी (गणतंत्र दिवस) पर तिरंगा फहराया जाता है. लेकिन पहले यह जान लीजिए कि 'ध्वजारोहण' और 'झंडा फहराने' में क्या अंतर है. आमतौर पर सभी को यह लगता है कि दोनों शब्द समान हैं, दोनों का अर्थ एक ही है. लेकिन जान लीजिए इन दोनों शब्द के मायने अलग-अलग हैं. गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराया जाता है. जबकि स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करते हैं. 


स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले ध्वजारोहण की बात करें तो इसमें झंडे को रस्सी के सहारे नीचे से ऊपर की ओर ले जाया जाता है, फिर इसको खोलकर फहराया जाता है, इसे फ्लैग होस्टिंग या ध्वजारोहण कहते हैं. जबकि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर झंडा ऊपर की ओर ही बंधा रहता है, जिसे खोलकर राष्ट्रपति फहराते हैं. 


स्वतंत्रता दिवस पर पीएम और गणतंत्र दिवस पर क्यों फहराते हैं झंडा
भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिली थी. तब भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया था. क्योंकि तब वही देश के मुखिया थे.  लेकिन साल 1950 में संविधान लागू होने के बाद राष्ट्रपति को देश का प्रथम नागरिक माना गया. इसके बाद से परंपरानुसार प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर और राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराते आ रहे हैं. 


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