UP Politics: लखनऊ : लोकसभा चुनाव से पहले अब दबाव की  राजनीति का दौर शुरू हो गया है. सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय लोकदल ने सपा के साथ गठबंधन में बने रहने के लिए दर्जन भर सीट मांगी है. लेकिन समाजवादी पार्टी लोकसभा की सिर्फ दो सीट ही देने के मूड में है. बताया जा रहा है कि यदि अखिलेश पार्टी का ऑफर नहीं मानते हैं तो जयंत चौधरी कोई भी फैसला ले सकते हैं. माना जा रहा है कि आरएलडी की बीजेपी से भी बात चल रही है. बताया जा रहा है कि आरएलडी बिजनौर, सहारनपुर, मथुरा,हाथरस, बुलंदशहर, मेरठ, बागपत, नगीना, मुजफ्फरनगर और कैराना सीट से अपना उम्मीदवार उतारने की मांग की है.


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हालांकि बताया यह भी जा रहा है कि आरएलडी ने बीजेपी से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वहां बात नहीं बनी. जयंत चौधरी को इंडिया गठबंधन  से एनडीए के पाले में लाने की कवायद भी चल रही थी, लेकिन उन्हें अपनी पार्टी के बीजेपी में विलय का प्रस्ताव दिया गया. दूसरा ऑफर उन्हें एक सीट देने का किया गया. ऐसे में आरएलडी ने बीजेपी के साथ जाने से इनकार कर दिया. वैसे भी अगर आंकड़ों के नजरिए से देखें तो पश्चिम में बीजेपी के लिए रालोद से ज्यादा बीएसपी फायदेमंद है. बीएसपी के साथ आने से वह हारी हुई सीटों पर भी जीत हासिल कर सकती है. 


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हालांकि मई में राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) अध्यक्ष जयंत चौधरी ने  सपा से गठबंधन टूटने की अफवाहों पर विराम लगा दिया था. उन्होंने कहा था कि 2024 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस से गठबंधन को लेकर कहा कि इस पर फैसला विपक्षी दल मिलकर लेंगे. आरएलडी को लेकर यह भी  कयास लगाए जा रहे थे कि वह कर्नाटक में इंडिया की  बैठक में शामिल होगी, लेकिन वहां जयंत चौधरी की गैरमौजूदगी को दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है.


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