चंपावत : गुरुवार को चंपावत के मां पूर्णागिरि धाम में दुखद हादसा हो गया. यहां पार्किंग में सोए श्रद्धालुओं को एक बस ने रौंद दिया. इस हादसे में चार लोगों की मौत हो गई है. फिलहाल घटना स्थल पर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी पहुंच गए हैं. हादसे को जिसने भी देखा रोंगटे खड़े हो गए. चंपावत जिले की पुलिस ने घटना में घायलों को अस्पताल पहुंचाया. वहां पहुंचे उनके परिजनों का बुरा हाल है. पुलिस प्रशासन इस बात की जांच में जुटा है कि आखिरी ये एक्सीडेंट कैसा हुआ. क्या रोडवेज बस चालक की अनियंत्रित बस के ड्राइवर को नींद आने या किसी अन्य तकनीकी कारण से ऐसा हादसा हुआ.


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 उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से 171 किलोमीटर और चंपावत से 92 किलोमीटर दूरी पर स्थित है मां पूर्णागिरी धाम. नवरात्र के मौके पर यहां हर साल हजारों भक्तों की भीड़ जमा होती है.


पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड के टनकपुर से लगभग 17 किमी दूर है.  यह समुद्र तल से 3000 मीटर की ऊंचाई पर है. मंदिर को शक्तिपीठ की मान्यता है और यह 108 सिद्ध पीठ में से एक कहा जाता है. मान्यता है कि इसी स्थान पर सती माता की नाभि गिरी थी. पूर्णागिरी को  तमाम जगहों पर पुण्यगिरि के नाम से भी पुकारा जाता है. यह मंदिर उत्तराखंड की शारदा नदी के पास है. पूर्णागिरि मंदिर में  चमत्कार को लेकर भी बड़ी मान्यताएं हैं.


पुराणों में यह भी कहा गया है कि जब सती मां ने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होकर स्वयं को भस्म कर लिया था तो नाराज भगवान शिव उनके पार्थिव शरीर को आकाश मार्ग से ले जा रहे थे. तभी यहां अन्नपूर्णा पहाड़ी पर सती की नाभि गिरी. तभी से मां दुर्गा के इस मंदिर को शक्तिपीठ के तौर पर मान्यता मिली.


मां पूर्णागिरि धाम में साल भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. चैत्र और शारदीय नवरात्र में इस धाम में भक्तों का सैलाब उमड़ता है. उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड ही नहीं मध्य प्रदेश से लेकर मुंबई तक यहां हजारों श्रद्धालुओं रोजाना दर्शन करने आते हैं.


 


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