लखनऊ-नोएडा जैसे शहरों में 25% बढ़े सड़क हादसे, Indian Road Congress में रोड एक्सीडेंट को लेकर होगा चिंतन
Indian Road Congress : उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों पर रोक लगाने की कवायद में और तेजी लाने की जरुरत है. प्रदेश भर में सड़क हादसे 13 फीसदी और लखनऊ में डेढ़ गुना बढ़े हैं. इस बीच 11 साल बाद प्रदेश की राजधानी में इंडियन रोड कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है.
लखनऊ: प्रदेश में सड़क हादसों में रोक लगाने के लिए पुलिस और परिवहन विभाग द्वारा अनेक कदम उठाए जाते हैं. जागरुकता के अनेक कार्यक्रम भी संचालित होते हैं. लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहे हैं. एक आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में सड़क हादसे 13 फीसदी और लखनऊ में डेढ़ गुना बढ़े हैं. मृतकों की संख्या में 8 और घायलों की संख्या में 18 फीसदी की वृद्धि हुई है. जनवरी से अगस्त तक नोएडा, गोरखपुर और प्रयागराज जैसे बड़े शहरों में हादसों की संख्या 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ी है.
1500 प्रतिनिधि करेंगे शिरकत
इंडियन रोड कांग्रेस (Indian Road Congress) का 81वां अधिवेशन 8 से 11 अक्टूबर तक होगा. 11 साल बाद यूपी की मेजबानी में होने वाले आयोजन में देश-विदेश के 1500 से अधिक प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे. यह अधिवेशन 1934 में शुरू हुआ था. यूपी 5वीं बार इसकी मेजबानी करेगा. इंडियन रोड कांग्रेस का उद्घाटन इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुभारंभ करेंगे. केंद्रीय राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह भी इस मौके पर विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे.
नई तकनीक का होगा प्रदर्शन
कार्यक्रम में यूपी के भी 200 प्रतिनिधि शिरकत करेंगे. अधिवेशन के बाद प्रतिनिधियों को अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज, मथुरा, वृंदावन आदि स्थानों पर भ्रमण कराकर यहां के अध्यात्म व सांस्कृतिक पहलुओं से भी अवगत कराया जाएगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे प्रदेश बन गया है. यहां नई तकनीक से लगभग 50 लाख टन कार्बन उत्सर्जन को बचाया गया है. मुख्यमंत्री ने 2027 तक यूपी को 1 ट्रिलियन डॉलर अर्थव्यवस्था बनाने का जो लक्ष्य रखा है, उसमें इंफ्रास्ट्रक्च र व सड़क का विशेष योगदान है.
अधिवेशन में एफडीआर जैसी तकनीकी विषयों पर कोड्स लाया जाएगा, जिससे यूपी को बड़ा लाभ होगा. उत्तर प्रदेश में आईआरसी का यह पांचवां अधिवेशन है. प्रथम अधिवेशन दिसंबर 1934 में दिल्ली में हुआ था. वर्ष 1937, 1985, 1995 व 2011 में यूपी इसकी मेजबानी कर चुका है. इसके बाद इस वर्ष यह गौरव उत्तर प्रदेश को मिल रहा है.
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टिकाऊ सड़कों के निर्माण पर मंथन
अधिवेशन में 19 सत्र होंगे. इसमें एक सत्र यूपी का भी होगा, जिसमें अपने श्रेष्ठ कार्यों का प्रजेंटेशन दिया जाएगा. रोड कंस्ट्रक्शन की नई टेक्नोलॉजी, इंफ्रास्ट्रक्चर, अच्छी, कॉस्ट इफेक्टिव व सुरक्षित सड़कों जैसे विषयों के लिए यह काफी कारगर होगा. देश-विदेश के टेक्नो एक्सपर्ट, केंद्र व प्रदेश के इंजीनियरों, सड़क व सेतु से जुड़ी संस्थाओं, वैज्ञानिकों व सलाहकारों द्वारा कई विषयों पर प्रजेंटेशन देंगे. यहां 180 स्टॉल लगाए जाएंगे, जिसमें अलग-अलग कंपनियों की ओर से सड़क निर्माण में काम आने वाले उपकरण, मशीनरी, मटेरियल व नई तकनीक से जुड़ी जानकारियां मिलेंगी.