लखनऊ : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा में प्रवेश के समय अब 3 दिन का संघ प्रवेश वर्ग होगा. इस दौरान नये स्वयंसेवकों को आरएसएस की प्राथमिक रीति नीति और राष्ट्रवाद से जुड़े विषयों की शिक्षा दी जाएगी. वहीं संघ के प्रथम द्वितीय और तृतीय वर्ष के वर्ग की अवधि और नाम भी बदले गए हैं. अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के बैठक में लिए गए निर्णय को यूपी के पूर्वी पश्चिमी क्षेत्र के शाखाओं के साथ ही वैचारिक संगठनों की गतिविधियों तक लागू किया जाएगा. हरियाणा के पानीपत में 14 मार्च को संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक का समापन हुआ था. बताया जा रहा है कि संघ ने इस बैठक में कई अहम प्रस्ताव पारित किए हैं. आरएसएस के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले के मुताबिक संघ आगामी समय में सामाजिक परिवर्तन के पांच आयामों पर अपने कार्य को अधिक केन्द्रित करेगा. इन पांच आयामों में सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण, स्वदेशी आचरण, नागरिक कर्तव्य सम्मिलित हैं. उन्होंने इस विषय में स्पष्ट किया कि समाज में विभेद के विरुद्ध विमर्श खड़ा करना तथा समरसता के लिए निरंतर प्रयास करना इस कार्ययोजना का लक्ष्य है. एक प्रश्न के उत्तर में होसबाले ने कहा कि अस्पृश्यता समाज के लिए पाप और कलंक है तथा संघ इसे मिटाने के लिए प्रतिबद्ध है.


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तीन दिन चली प्रतिनिधि सभा की बैठक में उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्से से आए कार्यकर्ताओं ने विचार मंथन में हिस्सा लिया. बताया जा रहा है कि इस दौरान पेश प्रतिवेदन के मुताबिक संघ की शाखाओं की संख्या 62 हजार से बढ़कर 68 हजार तक पहुंची है. अगले एक साल में इस संख्या को एक लाख तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.


क्या है संघ में प्रशिक्षण की मौजूदा व्यवस्था
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्य रूप से चार प्रशिक्षण कार्यक्रम स्थायी रूप से स्वयंसेवकों के लिए आयोजित करता है. इनमें पहला प्राथमिक वर्ग होता है. यह जिले स्तर पर संचालित किया जाता है जो कि 7 दिन का होता है. इसमें स्वयंसेवकों को आरएसएस की विचारधारा के साथ संगठन की प्राथमिक जानकारी दी जाती है. इस दौरान देश और राष्ट्र से जुड़े मुद्दों पर भी अलग-अलग सत्र होते हैं.  इस शिविर में आरएसएस की स्थापना उसके इतिहास की जानकारी दी जाती है.


प्रांत में आयोजित होता है प्रथम वर्ष
प्राथमिक वर्ग के बाद इप्रथम वर्ष का आयोजन होता है. यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रांत स्तर पर आयोजित करता है. इसमें वही स्वयंसेवक हिस्सा ले सकते हैं जो प्राथमिक वर्ग किए होते हैं. संगठन के नगर, मंडल, तालुका, तहसील,जिला और विभाग के स्तर पर सक्रियता के आधार पर संगठन स्वयंसेवकों को इस प्रशिक्षण वर्ग में भेजता है. यह प्रशिक्षण शिविर भी 20 दिन का होता है. 
द्वितीय वर्ग का आयोजन क्षेत्र स्तर पर
प्रथम वर्ष के बाद द्वितीय वर्ष का आयोजन होता है. यह दो से तीन प्रांत पर बने क्षेत्र में आयोजित होता है. यह प्रशिक्षण वर्ग भी 20 दिन का होता है. सामान्यत: नगर और जिला स्तर के कार्यकर्ता इन प्रशिक्षण का हिस्सा बनते हैं. इस दौरान स्वयंसेवकों को दिए जाने वाले बौद्धिक और शारीरिक प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम प्राथमिक और प्रथम वर्ष के मुकाबले काफी अधिक होता है.  


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तृतीय वर्ष का आयोजन सिर्फ नागपुर में
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा प्रत्येक वर्ष तृतीय वर्ष का आयोजन भी किया जाता है. यह सिर्फ महाराष्ट्र के नागपुर स्थित संघ मुख्यालय में आयोजित किया जाता है. देश भर के प्रांतों से स्वयंसेवक इस ट्रेनिंग के लिए भेजे जाते हैं. यह 25 दिन का आयोजन होता है. इस दौरान स्वयंसेवकों के बौद्धिक, वैचारिक और शारीरिक प्रतिबद्धता को मजबूत बनाया जाता है. इसमें समापन कार्यक्रम के मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित भी करते हैं.  1925 में स्थापना के बाद से संघ ने समय के मुताबिक कार्यपद्धति में कई बदलाव किए हैं लेकिन उसकी विचारधारा आज भी वही है. 


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