सहारनपुर : देवबंद के दारूल उलूम में 4 छात्रों के निलंबन पर सूफी इस्लामिक बोर्ड के राष्ट्रीय प्रवक्ता कशिश वारसी ने नाराजगी जाहिर की है. कशिश वारसी ने इस फैसले को तालिबानी फैसला बताया है. उनका कहना है कि दाढ़ी इस्लाम में फर्ज नहीं है सुन्नते मोकदा है. इस्लाम इसकी इजाजत देता है कि कोई अगर परेशानी हो किसी के ऊपर और कोई मर्ज है तो वह दाढ़ी बनवा सकता है, जब आप सही हो जाए फिर से रख ले.


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हैरत में डाल दिया फैसला 
कशिश वारसी ने कहा कि देवबंद का फैसला सुनने के बाद मुझे भी हैरत हुई कि उन्होंने छात्रों को निष्कासित कर दिया है. इस्लाम बहुत आसान मजहब है. दाढ़ी इस्लाम में फर्ज नहीं है सुन्नते मोकदा है और ये भी हो सकता है कि उन बच्चों को कोई एलर्जी की दिक्‍कत हो, उनकी त्‍वचा में इन्फेक्शन हो, डॉक्टर ने सलाह दी हो कि दाढ़ी साफ करा लो. 


जरूरी नहीं कि दाढ़ी लंबी हो 
इस्लाम इसकी इजाजत देता है कि कोई अगर परेशानी हो किसी के ऊपर और कोई मर्ज है तो वो दाढ़ी बनवा सकता है, जब आप सही हो जाए फिर से रख ले और ये भी जरूरी नहीं है. अब मेरा ही है मुझे दाढ़ी नहीं आती तो जितनी आ रही है उतनी रख ली, ये कोई जरूरी नहीं कि दाढ़ी लंबी होनी चाहिए. 


तालिबानी फैसला करार दिया 
उन्‍होंने कहा कि इस्लाम आसान मजहब है और दाढ़ी सुन्नते मोकदा है. इस तरह का अमल करना तालिबानी फैसला है. बिल्कुल ऐसा लगता है जैसे आपने तालिबानी फैसला सुना दिया, उनसे मजबूरी पूछी जाती, परेशानी पूछी जाती, उसके बाद फैसला लिया जाता. इससे देश के अंदर अच्छा मैसेज नहीं जाएगा.


करोड़ों मुसलमान जिन्‍हें दाढ़ी नहीं 
वहीं, जब उनसे पूछा गया कि क्या ऐसा नियम है कि दाढ़ी कोई हटा दे तो वो धार्मिक नहीं रहता तो उनका कहना है कि नहीं ऐसा नहीं है. करोड़ों अरबों मुसलमान हैं जिनकी दाढ़ी नहीं है तो क्या वो इस्लाम से खारिज हो गए. ऐसा नहीं है. 


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