Saharanpur: आतंकी नदीम कर रहा था फिदायीन हमले की तैयारी, ट्रेनिंग लेने के लिए जाना चाहता था पाकिस्तान
Saharanpur Terrorist News: एटीएस द्वारा सहारनपुर से पकड़ा गया जैश-ए-मुहम्मद और तहरीक-ए-तालिबान का संदिग्ध आतंकी मोहम्मद नदीम फिदायीन हमले की तैयारी कर रहा था. एटीएस के मुताबिक, वह देश विरोधी गतिविधियों में लिप्त था. इस मामले में रोजाना नए खुलासे हो रहे हैं....
नीना जैन/सहारनपुर: उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जिला (Saharanpur) एक बार फिर चर्चा में है. यहां से आतंकी मोहम्मद नदीम (Terrorist Muhammad Nadeem Arrested) को गिरफ्तार किया गया है. पकड़े गए नदीम का कनेक्शन जैश-ए-मोहम्मद और तहरीक-ए-तालिबान, पाकिस्तान (Pakistan) से बता जा रहा है. एटीएस के मुताबिक, आतंकी नदीम को भारतीय जनता पार्टी से निलंबित नूपुर शर्मा (Nupur Sharma) की हत्या का टास्क दिया गया था. पुलिस ने नदीम के भाई तैमूर को भी हिरासत में लिया था. 4 दिन पहले यानी 8 अगस्त को इन दोनों भाइयों को लखनऊ भी ले गई थी.
ट्रेनिंग लेने के लिए जाना चाहता था पाकिस्तान
एटीएस की मानें तो नदीम की दो बुआ पाकिस्तान में रहती हैं. उन्हीं की आड़ में आतंकी ट्रेनिंग लेने के लिए पाकिस्तान जाना चाहता था. जिसके चलते नदीम के पिता नफीस कई बार अपनी बहनों से बात किया करते थे. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि उनका बेटा गलत राह पर चल रहा है. एटीएस के मुताबिक, नदीम फिदायीन हमले की तैयारी के लिए सोशल मीडिया के जरिए ट्रेनिंग ले रहा था. एटीएस ने उसके पास से एक मोबाइल और दो सिम बरामद किए हैं. जिसमें अन्य आतंकियों से की गई चैटिंग भी बरामद की है.
पाकिस्तानी हैंडलर के संपर्क में था नदीम
यूपी पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार ने जानकारी दी कि नदीम ने सोशल मीडिया पर फेक आईडी बनाई. उसी फेक आईडी के जरिए वह पाकिस्तान के हैंडलर सैफुल्लाह के संपर्क में था. सैफुल्लाह ने नदीम को आईईडी बनाने से संबंधित लिटरेचर भेजा और lone wolf attack के लिए चाकू से मारने की ट्रेनिंग भी दी. उन्होंने बताया कि नदीम पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विभिन्न हैंडलर्स के संपर्क में था. 2018 में नदीम का संपर्क जैश-ए-मोहम्मद के सदस्य से हुआ था. इसने नदीम को पाकिस्तान और अफगानिस्तान से जोड़ा. फिर नदीम का संपर्क सैफुल्लाह से करवाया और इसके बाद उसे जिहादी साहित्य दिया गया.
दो साल पहले देहरादून में करता था नौकरी
जानकारी के मुताबिक, नदीम करीब 2 साल पहले देहरादून के सेलाकुई में किसी कंपनी में नौकरी करता था. देहरादून में वह एक किराए के कमरे में रहता था. उसी कमरे में कुछ कश्मीरी युवक भी रहते थे. जिनके वह संपर्क में आया. नदीम के गांव कुंडा कलां के लोगों के मुताबिक उसका कोई दोस्त नहीं है. वह अपने काम से काम रखता था. वह बिल्कुल खामोश रहता था. किसी को भी इस बात पर यकीन नहीं है कि नदीम अपने ही देश के खिलाफ साजिश रच रहा था. गांववालों का कहना है कि उन्होंने इसे कहीं किसी गलत काम में नहीं देखा. दोनों भाई अपने काम से काम रखते थे. उन्हें आश्चर्य है कि वह किसी आंतकी संगठन से जुड़ा हुआ है.
मूल रूप से सहारनपुर के सरसावा गांव का रहने वाला है नदीम
बता दें कि नदीम का पूरा परिवार मूल रूप से सहारनपुर के सरसावा गांव के ढिक्का कलां का रहने वाला है. नदीम की मां कुंडा कलां की रहने वाली थीं. लेकिन उनका कोई भाई नहीं था. ऐसे में नदीम के माता-पिता कुंडा कलां में ही शिफ्ट हो गए. 40 साल से पूरा परिवार वहीं रह रहा है. बता दें कि नदीम का एक भाई तैमूर और दो बहनें हैं. इनमें से कोई पढ़ा-लिखा नहीं है. गौरतलब है कि नदीम के भाई तैमूर को भी एटीएस की टीम अपने साथ ले गई थी. हालांकि, उसे छोड़ दिया गया है. इसके बावजूद नदीम के पिता नफीस का कहना है अगर उनके बेटे तैमूर का भी आतंकियों से कोई संबंध निकलता है, तो वह अपने दोनों ही बेटों से संबंध तोड़ देंगे.
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