लखनऊ : काशी विश्‍वनाथ मंदिर ट्रस्ट की ओर से कर्ज लिए जाने का मामला विधान परिषद पहुंच गया है. समाजवादी पार्टी का आरोप है कि नियमों के विपरीत ट्रस्ट की ओर से कर्ज लिया गया गया. सपा का आरोप है कि सरकार ने बाबा विश्‍वनाथ को कर्जदार बना दिया है. वहीं, सरकार ने 79 करोड़ की कमाई वाले काशी विश्वनाथ मंदिर को बैंक से लोन क्यों लेना पड़ा, इस पर अपना रुख स्‍पष्‍ट कर दिया है. 


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यह है पूरा मामला 
दरअसल, समाजवादी पार्टी के एमएलसी आशुतोष सिन्‍हा का आरोप है कि नियमों के विरुद्ध न्‍यास की ओर से कर्ज लिया गया. इससे काफी नुकसान हुआ है. सपा एमएलसी का आरोप है कि सरकार ने बाबा विश्‍वनाथ को कर्जदार बना दिया है. सपा एमएलसी ने सवाल पूछा कि क्‍या मुख्‍यमंत्री बताएंगे कि श्री काशी विश्‍वनाथ मंदिर न्‍यास परिषद ने जनवरी 2017 से एक दिसंबर 2020 के समय विभिन्‍न बैंकों में कितने फिक्स डिपॉजिट थे. इतना ही नहीं विभिन्‍न बैंकों में कितनी धनराशि व्‍यव की गई. 


कोरोना महामारी के दौरान लिया गया कर्ज 
वहीं, सरकार ने कहा कि मंदिर की आवश्‍यकताओं को पूरा करने के लिए यह कर्ज लिया गया था. एफडी को न तोड़ते हुए सरकार ने उसके विपरीत केवल एक फीसदी की दर से कर्ज लिया है. सरकार की ओर से जवाब देते हुए जल शक्ति मंत्री स्‍वतंत्र देव सिंह ने बताया कि 2019 से 2020 में वैश्विक कोरोना महामारी के बावजूद काशी विश्‍वनाथ मंदिर न्‍यास परिषद कॉरिडोर का निर्माण चल रहा था. इसमें 6 माह तक आम लोगों के लिए विश्‍वनाथ मंदिर बंद था. इससे तमाम खर्चों को पूरा करने के लिए बैंक से लोन लिया गया था. इस पर मात्र 1 फीसदी का ब्‍याज लिया गया. वहीं, पूरे मामले में विधान परिषद के सभापति कुंवर मानवेंद्र प्रताप सिंह ने जांच के आदेश दिया है. 


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