सुनील सिंह/संभल: उत्तर प्रदेश का संभल शहर अपनी पौराणिक संस्कृति और इतिहास के लिए ही प्रख्यात नहीं है , यहां के मृत पशुओं के सींग और हड्डी पर हस्त शिल्पियों की नायाब कारीगरी से तैयार किए गए हैंडी क्राफ्ट आइटम और आर्टिफिशियल ज्वेलरी के लिए भी दुनिया भर में मशहूर हैं.


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संभल के हैंडीक्राफ्ट की दुनियाभर में है डिमांड
हस्त शिल्पियों द्वारा मृत पशुओं के सींग और हड्डी से तैयार किए संभल के हैंडी क्राफ्ट आइटम की अमेरिका, यूरोप और गल्फ कंट्री में भारी डिमांड है. 400 करोड़ के टर्न ओवर का कारोबार करने वाले संभल के हैंडी क्राफ्ट आइटम के कारोबारी हर साल 200 करोड़ के हैंडी क्राफ्ट आइटम का निर्यात विदेशो को करते हैं.


संभल में मृत पशुओं के अवशेषों से तैयार किए जाने वाले हैंडीक्राफ्ट आइटम के 125 साल पुराने हस्तशिल्प कारोबार से लगभग 25000 हस्त शिल्पी जुड़े हुए हैं, जो मृत पशुओं की हड्डी और सींग पर अपने हुनर का इस्तेमाल कर नायाब कारीगरी से सजावटी आइटम और रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले सामान के साथ ही आर्टिफिशियल ज्वेलरी तैयार करते हैं. 


ब्रांडिंग के लिए मिली है GI टैग की सौगात
मृत पशुओं के अवशेषों से तैयार किए गए इन आइटम में सींग से तैयार किए गए बीयर मग, फ्लॉवर पॉट, बटन डिनर सेट आदि सामान की अमेरिका ,यूरोप और गल्फ देशों में भारी मांग है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस कारोबार को प्रोत्साहन के लिए 10 करोड़ की लागत से बनाए जाने वाले कॉमन फैसलिटी सेंटर , ODP के साथ ही इंटरनेशनल मार्केट में ब्रांडिंग के लिए GI टैग की सौगात दी है.


कारोबारी कमल कौशल के अनुसार रूस और यूक्रेन युद्ध से आई ग्लोबल मंदी का असर संभल के इस कारोबार पर भी पड़ा है, ग्लोबल मंदी के चलते विदेशों से मिलने वाले ऑर्डर आधे से भी कम रह गए गए हैं. 


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