लखनऊ : सुप्रीम कोर्ट ने यूपी की जेल में बंद हजारों कैदियों की समय से पहले रिहाई का रास्ता साफ किया है. कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा है कि वो राज्य सरकार की मौजूदा नीति के मुताबिक समय से पहले रिहाई के हकदार हो चुके सजायाफ्ता कैदियों की रिहाई के बारे में तीन महीने में फैसला ले. इससे ज्यादा देर राज्य सरकार की ओर से नहीं होनी चाहिए. चीफ जस्टिस ने कहा कि ये समाज के सबसे गरीब तबके से जुड़ा मसला है. हमारे पास ऐसे भी कैदी है, जो 89 साल के है और कैंसर से जूझ रहे है, लेकिन अभी भी अपनी रिहाई का इंतजार ही कर रहे हैं.


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यूपी की जेलों में 1 लाख से ज्यादा कैदी


यूपी सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक अभी यूपी की जेलों में 1 लाख 16 हज़ार कैदी हैं. उनमें 88 हजार विचाराधीन कैदी ( अंडरट्रायल )हैं. इनमें 26 हज़ार 734 कैदी दोषी करार दिए जा चुके है और 16 हज़ार 262 कैदी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं. कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि यूपी सरकार नीति के मुताबिक तय वक्त जेल की सलाखों के पीछे गुजराने वाले कैदियों की भी रिहाई नहीं कर रही है.
कैदियों की रिहाई की रूपरेखा
यूपी की जेल में बंद कैदियों की नियमों के मुताबिक रिहाई तय हो सके, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने विस्तृत आदेश पास किया है. कोर्ट ने कहा है कि डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथॉरिटी सबन्धित जेलों की जेलों से सूचना एकत्र करेगे कि किन कैदियों को मौजूदा नियमो के तहत समय से पहले रिहाई का लाभ दिया जा सकता है. हर जेल सुपरिटेंडेंट की ये जिम्मेदारी होगी कि वह डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी तक ये जानकारी उपलब्ध कराएं. डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस ऑथोरिटी के सेकट्री इस सूचना को हर चार महीने के अंतराल पर 1 मई,1 अगस्त, 1 अक्टूबर को स्टेट लीगल सर्विस ऑथरिटी को उपलब्ध कराएंगे. स्टेट लीगल सर्विस ऑथोरिटी के चेयरपर्सन एक मीटिंग करेंगे. इस मीटिंग में होम सेकट्री के अलावा डीजी, जेल शामिल होंगे. राज्य सरकार दोषियों की रिहाई के बारे मे मौजूदा पॉलिसी के मुताबिक फैसला लेगी. इसके लिए तीन महीने से ज्यादा का वक्त नहीं लिया जाना चाहिए.
बिहार, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र सरकार को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के एक महीने के अंदर डीजी(जेल), स्टेट लीगल सर्विस ऑथोरिटी के चेयरपर्सन के साथ मशविरा करके एक ऑनलाइन डैशबोर्ड बनाएंगे, जिसमें उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों और उनकी समय से पहले रिहाई के योग्य होने की तारीख की जानकारी होगी. राज्य सरकार 31 मार्च तक इस आदेश के अमल को लेकर हलफनामा दाखिल करेगी. कोर्ट ने बिहार, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सरकार से भी उम्रकैद की सज़ा काट रहे कैदियों की जानकारी मांगी है. कोर्ट अगली बार बिहार को लेकर सुनवाई करेगा.


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