शिवकुमार/शाहजहांपुर: अगर किसी की लड़की से लड़का बनने की चाहत हो और उसका ये सपना अगर पूरा हो जाए तो शायद उसका खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा. शाहजहांपुर के काकोरी शहीद कांड के अमर शहीद ठाकुर रोशन सिंह की प्रपौत्री ने अपना जेंडर चेंज करवाकर सरिता सिंह से शरद सिंह बन गए. शाहजहांपुर के जिला अधिकारी उमेश प्रताप सिंह ने अपने हाथों से उन्हें लिंग परिवर्तन प्रमाण पत्र सौंपकर उन्हें बधाई दी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल खुदागंज थाना क्षेत्र के नवादा गांव की रहने वाली सरिता सिंह भावल खेड़ा ब्लॉक के कंपोजिट विद्यालय सातवां खुर्द में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात थी. जिसके बाद उन्होंने अपना जेंडर चेंज करवाने का फैसला किया. उन्होंने 2020 में जेंडर बदलवाने के लिए अपनी कोशिश जारी रखी. इसके बाद लखनऊ में हार्मोन थेरेपी कराई. थेरेपी कराने के बाद उनकी दाढ़ी निकल आई और आवाज भी मर्दानी हो गई.


साथ खड़ी रहीं दोस्त सविता सिंह 
सरिता सिंह हमेशा लड़कों की वेशभूषा में रहती थी, जिसके चलते उन्हें शुरुआत में काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ा, लेकिन इन सबके बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. तीन महीने पहले उन्होंने मध्यप्रदेश के इंदौर में सर्जरी करवाकर अपना जेंडर चेंज करवा दिया. इस पूरी प्रक्रिया में उनकी एक दोस्त सविता सिंह ने साए की तरह उनका साथ दिया. जेंडर चेंज होने के बाद उनका नाम सरिता सिंह से बदलकर अब शरद सिंह हो गया है.


शाहजहांपुर के जिला अधिकारी ने उन्हें अपने कार्यालय में बुलाकर उन्हें अपने हाथों से लिंग परिवर्तन का प्रमाण पत्र सौंपा, जिसके बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. 


सविता सिंह को बनाएंगे जीवनसाथी
शरद सिंह का कहना है कि उनका ज्यादातर वक्त व्हीलचेयर और बेड पर गुजरता है, जिसमें उनकी हमसाया बनकर रहने वाली सविता सिंह ने उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरतों का पूरा ख्याल रखा और पढ़ाई लिखाई में भी उनका पूरा सहयोग किया. शरद सिंह ने फैसला किया है कि उनकी जिंदगी में हर पल उनके साथ उनकी मदद करने वाली सविता सिंह को अब वो अपना जीवनसाथी बनाएंगे, जिसके लिए सरिता सिंह ने भी हामी भर दी है. अपना जेंडर चेंज करवाने के बाद शरद सिंह को अब उस दिन का इंतजार है जब वह सरिता सिंह के साथ सात फेरे लेकर उन्हें अपनी दुल्हन बनाएंगे.


डीएम ने सौंपा लिंग परिवर्तन प्रमाण पत्र
जिलाधिकारी उमेश प्रताप सिंह का कहना है कि शरद सिंह का लिंग परिवर्तन प्रमाण पत्र जिला प्रशासन के पास आया था, जिसे सम्मान के साथ शरद सिंह को सौंप दिया गया है। अब उन्हें शरण सिंह के नाम से पहचाना जाएगा.