Shani Jayanti 2023: पुराणों और धर्म के अनुसार वैशाख हिंदू वर्ष का दूसरा महीना होता है. वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वैशाख अमावस्या मनाई जाती है. इस दिन को शनि जयंती के रूप में भी जानते हैं. शनि जयंती होने की वजह से वैशाख अमावस्या का धार्मिक महत्व बढ़ जाता है. वैशाख की अमावस्या तिथि को शनि देव का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. इस दिन आप अपने पितरों को भी प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद ले सकते हैं.


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शनि जयंती की तारीख-शुभ मुहूर्त
वैशाख माह की अमावस्या तिथि आरंभ
19 अप्रैल, बुधवार, प्रातः 11:23 मिनट से शुरू


वैशाख माह की अमावस्या तिथि समाप्त
20 अप्रैल, गुरुवार, प्रातः 09: 41 मिनट तक 


उदय तिथि के कारण 20 अप्रैल को वैशाख अमावस्या है, और उसी दिन शनि जयंती मनाई जाएगी


शनि जयंती पर शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग
20 अप्रैल, गुरुवार, प्रातः 05: 51 मिनट से  रात्रि 11: 11 मिनट तक


प्रीति योग
20 अप्रैल, गुरुवार, दोपहर: 01: 01 मिनट से देर रात तक 


अभिजीत मुहूर्त
सुबह 11: 54 मिनट से दोपहर 12: 46 मिनट तक रहेगा.


साल में दो बार आती है शनि जयंती
शनि जयंती (Shani Jayanti) साल में दो बार मनाई जाती है. दक्षिण भारत में शनि जयंती वैशाख अमावस्या (Vaisakh Amavasya) को और उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाती है. 7 अप्रैल से हिंदू कैलेंडर का दूसरा माह वैशाख प्रारंभ हो गया.


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धर्म कर्म करने से मिलते हैं मनवांछित फल
शनि जयंती के दिन तीर्थ स्थान पर जाकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूरी होगी. इस बार वैशाख अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है तो ये शुभ संयोग है. इस दिन पितरों को प्रसन्न करने से उनके आशीर्वाद मिलेगा.


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पितरों को करें खुश
वैशाख अमावस्या के दिन सुबह स्नान करें. उसके बाद सूर्य  की पूजा करें और फिर पितरों को जल से तर्पण करें. इससे आपके पितर प्रसन्न होंगे और सुखी जीवन का आशीर्वाद देंगे.अपनी क्षमता के हिसाब से आप गरीबों को दान-दक्षिणा दें. इस दिन शनि देव के जन्म की कथा सुनें. उसके बाद शनि देव की आरती करें. फिर शनि देव से ग्रह दोष, साढ़े साती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति देने की प्रार्थना करें. इससे जीवन के कष्ट दूर होंगे.
 
शनि देव की ऐसे करें पूजा
वैशाख अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा का संकल्प लें. शनिदेव की मूर्ति पर तेल, फूल माला आदि चढ़ाएं. अगर घर में शनिदेव की मूर्ति नहीं है तो आप मंदिर जा सकते हैं.  शनिदेव पर काली उड़द की दाल और तिल चढ़ाना बेहद ही शुभ माना जाता है. इसलिए फूल-फल के साथ आप उड़द की दाल और काले तिल भी भगवान शनि को अर्पित करें. इसके बाद सरसों के तेल का दीपक जलाकर शनि चालीसा का पाठ करें. अंत में आरती कर प्रसाद वितरित करें. गरीबों को दान करने से शनि बहुत खुश होते हैं इसलिए आप अपनी सामर्थ्यनुसार दान-पुष्य करें.


Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है. सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक पहुंचाई गई हैं. हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है. इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी. ZEE UPUK इसकी जिम्मेदारी नहीं लेगा.


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