Shardiya Navratri 2022: आगामी दिनों में पितृपक्ष खत्म होने वाला है. जिसके बाद शारदीय नवरात्र शुरू होगा. बता दें कि शारदीय नवरात्र आश्विन शुक्ल प्रतिपदा की तिथि से शुरू होता हैं. जो इस बार सोमवार को है. यानी 26 दिसंबर दिन सोमवार से नवरात्र प्रारंभ होगा. वहीं, इसका समापन 5 अक्टूबर 2022 को होगा. ज्योतिषियों की मानें तो इस शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी. सिंह छोड़ माता का हाथी पर सवार होकर आना, बेहद खास माना जाता है. आम आमतौर पर हमें यही पता होता है कि माता सिंह की सवारी करती हैं. आइए आपको बताते हैं कैसे बदलती है माता की सवारी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जानें कैसे बदलती है माता ही सवारी 
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो जब रविवार या सोमवार के दिन नवरात्रि की शुरुआत होती है तो मां दुर्गे हाथी की सवारी करती हैं. अगर पहला दिन गुरुवार या शुक्रवार हो तो मां जगदंबा पालकी में आती हैं. वहीं, अगर नवरात्रि की शुरुआत मंगलवार या शनिवार के दिन से हो तो मां घोड़े पर सवार होकर आती हैं. जबकि, नवरात्रि अगर बुधवार से प्रारंभ हो तो माता नाव में सवार होकर आती हैं. 


माता की हर सवारी के हैं विशेष मायने
ऐसा माना जाता है कि माता रानी जब हाथी पर सवार होकर आती हैं तो बारिश की संभावना अधिक बढ़ जाती हैं. जिससे पृथ्वी पर हर तरफ हरियाली छाने लगती है. प्रकृति बहुत खूबसूरत नजर आने लगती है. किसानों के खेतों में फसलें लह लहा उठती हैं. वहीं, जब माता हाथी की सवारी करती हैं तो धरती पर अन्न-धन के भंडार भर देती हैं. धन में अपार वृद्धि आती हैं. खास बात ये है कि जब माता रानी हाथी या नौका पर सवार होती हैं तो यह समय साधकों के लिए बेहद मंगलकारी होता है.


नवरात्र पूजन विधि खास, ऐसे करें कलश स्थापना
आपको बता दें इस नवरात्र विधि-विधान से माता का पूजन करें. सभी मनोकामनाएं मां जगदंबा जरूर पूरी करेंगी. इसके लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें. नवरात्र के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त के मुताबिक कलश स्थापित करें. कलश में गंगाजल भरकर उसके मुख पर आम के पत्ते रखें. कलश के गर्दन पर लाल धागा या मौली लपेटें. इसके बाद लाल चुनरी में नारियल लपेटें और सावधानी से इसे लगाए गए आम के पत्तों पर रखें. 


ऐसे दें माता को गृह प्रवेश का न्योता
आपको बता दें कि अब कलश को मिट्टी के बर्तन के पास या फिर बर्तन के ऊपर रखें. मिट्टी के बर्तन पर 'जौ' के बीज डालें. इसके बाद बीज पर नवरात्र के 9 दिन थोड़ा-थोड़ा पानी छिड़कते रहें. पूरे मन और ध्यान से 9 दिन मां दुर्गा के मंत्रों का जाप करते रहे. इसी के साथ ही मां को पूरे मन से अपने घर पर आने का न्योता दे. इसके अलावा अन्य देवताओं का भी आव्हान करें. आरती में फूल, कपूर, अगरबत्ती और विभिन्न व्यंजनों के भोग चढ़ाएं. 


आपको बता दें कि नवरात्रि के आठवें या नौवें दिन एक ही पूजा करें. अपने घर नौ कन्याओं को आमंत्रित कर मां दुर्गा के नौ रूपों के रूप में उनका पूजन करें. उन्हें बैठाकर उनके पैरों को धोएं. माथे पर तिलक लगाएं और प्रेम से भोजन परोसें. उन्हें उपहार या अर्थ देकर उनसे आशीर्वाद लें और उनकी विदाई करें. अंतिम दिन मां दुर्गा पूजा की पूजा के बाद घट का विसर्जन कर दें. ऐसी मान्यता है कि इन 9 दिनों में मां दुर्गा की सच्चे मन से उपासना करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है. इसलिए नवरात्र में विधि-विधान से मां जगदंबा का पूजन करें.