प्रभम श्रीवास्तव/कन्नौज: उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले के दो मजदूर परिवार की गरीबी दूर करने के सपने लिए जम्मू कश्मीर के शोपिया जिले में कमाने के लिए गए थे. यहां पर आतंकी हमले में दोनों की जान चली गई. उसकी पत्नी को यह नहीं मालूम था कि गरीबी दूर करने के लिए शोपिया गया उनका पति हमेशा के लिए दूर चला जाएगा. वह कभी लौटकर वापस नहीं आएगा.


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3 छोटे बच्चों और पत्नी का पेट पालने के लिए गया था कश्मीर 
गरीबी और आर्थिक स्थिति के संकट के बीच अपने 3 छोटे बच्चों और पत्नी का पेट पालने को कन्नौज से जम्मू कश्मीर के शोपिया में मजदूरी कर रहे मुनेश और उसके साथ रामसागर को यह नहीं पता था कि जिस रात वह सोए हैं. वह उनकी अंखिरी रात होने वाली है. अचानक हुए आतंकी हमले में दोनों ही मजदूर की मौत हो गई. घटना के कुछ ही घंटों के बाद जब मामले की जानकारी परिजनों की मिली तो कोहराम मच गया. दोनों घरों में मातम छाया हुआ है. मृतक के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल है.


एक पेटी सेब भरने पर मिलते थे पांच रुपये 
मृतक मुनेश की पत्नी पुष्पा का कहना है कि उसका पति शोपिया में सेब भरने का काम करता था. गांव के ही रहने वाले पिंटू ने मुनेश और रामसागर को काम में लगाया था जिससे की घर का गुजारा चलने लगा था. मुनेश को सेब की एक पेटी भरने पर 5 से 7 रुपए तक मिला करते थे. महीना के 5 से 10 हजार रुपए तक की कमाई हो जाती थी, जिससे मुनेश के 3 बच्चे जिसमें 2 बेटी और 1 बेटा व पत्नी का खाना पीना और अन्य जरूरी वस्तुओं की पूर्ति बड़ी मुस्किल से हो पाता था.


घर के नाम पर एक झोपड़ पट्टी है. ना तो परिवार को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला और ना ही किसी अन्य योजना का लाभ इनको मिल पाया है. गांव के ग्रामीणों ने भी इस पर बात अपना गुस्सा जाहिर किया है. उनका भी कहना है कि रोजगार को लेकर यहां कोई व्यवस्था नहीं है. किसी सरकारी योजना का लाभ इनको नहीं मिला है. प्रधानमंत्री आवास योजना में आवेदन भी किया गया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. 


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