Shukra Pradosh Vrat 2023: प्रदोष व्रत सनातन संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह व्रत प्रत्येक मास दो बार पड़ता है. ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव खुश होते हैं. प्रदोष व्रत, हिंदू पंचांग के अनुसार हर चंद्र पखवाड़े में 'त्रयोदशी' को पड़ता है. यदि प्रदोष व्रत शुक्रवार को पड़ता है तो इस व्रत को शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाता है. शुक्र प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव की कृपा बनी रहती हैं. इस दिन श्वेत रंग तथा खीर जैसे पदार्थ ही सेवन करना चाहिए.


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सावन में आने वाले प्रदोष व्रत का महत्व और बढ़ जाता है. इस बार सावन माह 59 दिनों का है. ऐसे में सावन में 4 प्रदोष पड़ेंगे. सावन का पहला प्रदोष व्रत 14 जुलाई दिन शुक्रवार को है. साल भर में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत महादेव की पूजा के लिए श्रेष्ठ माने जाते हैं. विशेष बात यह है कि सावन माह में इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी महादेव की पूजा के लिए बहुत विशेष मानी जाती है. 


इस साल शुक्र प्रदोष व्रत की तिथि और मुहुर्त
जुलाई में त्रयोदशी तिथि
कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत
शुक्रवार, 14 जुलाई 2023
14 जुलाई 2023 शाम 07:17 बजे - 15 जुलाई 2023 शाम 8:33 बजे


नवंबर में त्रयोदशी तिथि
कृष्ण पक्ष प्रदोष व्रत (धनत्रयोदशी)
शुक्रवार 10 नवंबर 2023
10 नवंबर 2023 दोपहर 12:36 बजे  11 नवंबर 2023 दोपहर 01:58 बजे


शुक्ल पक्ष प्रदोष व्रत
शुक्रवार, 24 नवंबर 2023
24 नवंबर 2023 शाम 07:07 बजे : 25 नवंबर 2023 शाम 05:22 बजे


ऐसे करें शुक्र प्रदोष व्रत का पूजन
प्रदोष व्रत यदि विधि-विधान से रखा जाए तो शिव जी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. वह भक्तों के सभी कष्ट हर लेते हैं. हिंदू पंचाग के अनुसार प्रदोष व्रत वाले दिन पूजन के लिए प्रदोष काल यानी संध्या का समय अत्यंत शुभ होता है. इसके लिए आप सूर्यास्त से एक घंटा पूर्व स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें. स्नान के बाद संध्या के समय शुभ मुहूर्त में पूजा आरंभ करें. गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें. अब शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग चढ़ाए और विधिपूर्वक पूजन और आरती करें.


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