सलमान आमिर/सिद्धार्थनगर: उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में पिछले 8 सालों से बिजली कनेक्शन और शौचालय के लिए एक विकलांग दंपत्ति दर-दर भटकने को मजबूर है. केंद्र सरकरा और प्रदेश सरकार की ओर से चलाई जा रही महत्वपूर्ण योजनाओं के तहत शत प्रतिशत लोगों को जिले में ये सुविधा मिल चुकी है, लेकिन ये प्रकरण जमीनी हकीकत की पोल खोलने के लिए काफी है. हालांकि जिलाधिकारी और सीडीओ ने इस मामले का संज्ञान लेकर मूलभूत सुविधा जल्द से जल्द देने की बात कही है. 


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सिद्धार्थनगर जिले के इटवा तहसील के भोपलापुर निवासी मेहरून्निसा और इसरार अहमद विकलांग हैं. बावजूद इसके पिछले 8 वर्षों से इसी तरह मूलभूत सुविधाओं के लिए तहसील से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय के चक्कर लगा रहे हैं. विकलांग असरार और मेहरून्निसा बहुत ही गरीब हैं. उनके पास अभी शौचालय नहीं है और ना ही उनके घर में अभी तक बिजली ही मयस्सर हुई है. किसी तरह से अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले असरार कहते हैं कि दोनों ही मूलभूत सुविधाओं के लिए वे पिछले 8 वर्षों से अधिकारियों की मिन्नत कर रहे हैं और कार्यालय के चक्कर लगा लगा कर थक गए हैं.


विधुत विभाग के जेई ने मांगे 10 हजार
ग्राम प्रधान से लेकर तहसीलदार, और उप जिलाधिकारी से गुहार लगा चुके असरार और उनकी पत्नी अब जिलाधिकारी से अपनी बात कहने आए थे. असरार ने बताया कि उनके घर पर बिजली लगाने के लिए जब उन्होंने विभागीय जेई और अन्य संबंधित कर्मचारियों से बात की तो उनसे 10 हजार रुपये सुविधा शुल्क के मांगे गए. वह इतने गरीब है कि यह रकम नहीं दे सके जिसकी वजह से आज भी वह अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. पूरी तरह से ओडीएफ घोषित सिद्धार्थनगर जिले में इस परिवार के पास शौचालय भी नहीं है. मजबूरन उन्हें खेतों में खुले में शौच को जाना पड़ता है. दिव्यांग दंपत्ति उच्च अधिकारियों की ओर आस लगाए बैठे हैं कि कोई तो होगा जो उन्हें यह मूलभूत सुविधाएं मयस्सर कराएगा.


मामले की होगी जांच?
वहीं, इस मामले में जिले के सीडीओ जयंत कुमार ने कहा कि उनके संज्ञान में यह मामला अभी आया है. इस परिवार को अभी तक यह सुविधाएं क्यों नहीं मिल सकी. इसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ तो कार्रवाई करेंगे ही. साथ ही जल्द से जल्द इस परिवार की सभी समस्याएं दूर करवाने का प्रयास किया जाएगा.