कुशीनगर : दीपावली नजदीक है, ऐसे में बाजार भी सज गए हैं. इस बार भी चाइनीज झालर बाजार में धड़ल्‍ले से बिक रहे हैं. हालांकि कम लोगों को ही पता है कि ये चाइनीज झालर पलभर में ही मौत की वजह भी बन जाती है. इन झालरों को बनाते समय गुणवत्‍ता का ध्‍यान नहीं रखा जाता. ये सस्‍ती झालरें पिछले वर्षों में कई लोगों की जान ले चुकी हैं.


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चाइनीज लड़ियों की अधिक मांग


कुशीनगर में चाइनीज लड़ियों पिछलों सालों के मुकाबले भले ही कम धूम मचा रही हो लेकिन आकर्षक और सस्ती होने के कारण ये लोगों को लुभा रही हैं. पूरे जनपद में कई तरह के झालर उपलब्ध हैं. इनमें चाइनीज लड़ियों की डिमांढ़ अधिक है. यहां जाल सेप से लेकर विभिन्न सेप में चाइनीज लड़ियां पसंद की जा रही हैं. इनमें मास्टर बल्ब के साथ चेचर भी लगा होता है. इससे झालरों के बल्ब रंगी बिरंगी रोशनी देते हैं. वैसे भी चाइनीज लड़ियों में भले ही रोशनी और सुंदरता दिखे लेकिन यह मौत का कारण भी बन रही है.


देसी झालर की बिक्री में गिरावट  
वहीं, सीतापुर में धड़ल्ले से चाइनीज लड़ियों की बिक्री हो रही है. यूं तो लोग मानते हैं कि चाइनीज लड़ियां बहुत खतरनाक हैं लेकिन इनकी बिक्री बाजार में धड़ल्ले से हो रही है. लोगों का मानना है कि अपने देश के उत्‍पादों का इस्तेमाल करना चाहिए उसमें कोई खतरा नहीं है लेकिन चाइनीज लड़ियों में जान जोखिम में पड़ सकती है. फिर भी लोग सस्ती होने के चलते चाइनीज लड़ियां को ही खरीदते हैं. चाइनीज झालर मार्केट में आने के बाद देसी झालरों की बिक्री में भी गिरावट आई है.


बरेली के बाजार में भी चमक रही विदेशी झालर  
बरेली में भी इस बार देसी त्यौहार पर विदेशी झालर चमक बेखेरेगी. मतलब इस बार भी चाइना की झालर दीपावली पर चमकती दिखाई देगी. बाजार में चाइनीज झालरों की ज्यादा मांग है लेकिन इसके ग्राहक इसको ले जाते समय ये भूल जाते हैं कि चाइनीज झालर पल भर में मौत की झालर भी बन सकती है.


 


कीमत में भी बड़ा अंतर 
बाजार में मौजूद चीन निर्मित फैंसी झालर शहरवासियों को जमकर लुभा रही हैं. 50 रुपये से शुरू होकर यह झालरें पांच हजार तक की कीमत में बाजार में उपलब्‍ध हैं. वहीं देसी झालरों की न्यूनतम कीमत ही 150 रुपये है.