श्याम तिवारी/कानपुर: सूफी ख़ानक़ाह एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी द्वारा  PFI (Popular Front of India) द्वारा ईद पर गड़बड़ी पैदा करने की आशंका जताई है. इस संबंध में उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह और केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु के मुख्यमंत्रियों और पुलिस प्रमुखों को लेटर लिखा है.


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सूफी कौसर हसन मजीदी ने बयान जारी करते हुए कहा, पीएफआई द्वारा 26 जनवरी 2022 को 'लोकतंत्र बचाओ अभियान' जारी किया गया था. इसके बाद से देश भर में सांप्रदायिक सद्भाव खराब होने की घटनाएं हुईं. इनमें अधिकतर घटनाओं में पीएफआई शामिल थी, जांच एजेंसियों ने इसका खुलासा भी किया है. 17 फरवरी को पीएफआई के कोटा सम्मेलन और 28 फरवरी 2022 को अहमदाबाद में हुए वेबिनार के बाद से हालत और भी ज्यादा खराब हुए हैं. 


हिजाब मुद्दे के बाद हिंसक घटनाओं में आई तेजी
विशेष रूप से "हिजाब मुद्दे" के बाद दक्षिण भारत में हिंसक घटनाओं में तेजी आई है. उत्तर और पश्चिम भारत में रामनवमी की "शोभा यात्राओं" के दौरान हुई हिंसा में पीएफआई का शामिल होना चिंता का विषय है. पीएफआई द्वारा रामनवमी जैसी हिंसा को ईद के मौके पर दक्षिण भारत में दोहराया जा सकता है. 


PFI लीडर  मोहम्मद शकीफ के खिलाफ हो कार्रवाई
इस क्रम में पीएफआई ने दक्षिण भारत में अपनी गतिविधियों को भी शुरू कर दिया है. 29 अप्रैल को कर्नाटक के मैसूर में पीएफआई लीडर मोहम्मद शकीफ का एक इफ्तार पार्टी में उत्तेजक और भड़काऊ बयान इस तथ्य की पुष्टि करता है. धार्मिक महत्व की इफ्तार पार्टी में मो. शकीफ द्वारा दिए गए भाषण में नागरिकता कानून के विरोध में हुई घटनाओं में पीएफआई के सम्मिलित होने की स्वीकरोक्ति करते हुए शकीफ ने कई ऐसे कथन कारित किए हैं, जो शांति व्यवस्था को बिगाड़ने वाले हैं. ऐसी स्थिति में आवश्यक है कि बयानों के आधार पर मो. शकीफ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए. साथ ही पीएफआई द्वारा ईद के अवसर पर संभावित घटनाओं को रोके जाने का समुचित प्रबंध किया जाए. 


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