लखनऊ:  उत्तर प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को और सुदृढ़ करने के लिए योगी सरकार एक के बाद एक बड़े कदम उठा रही हैं. इसी के तहत योगी सरकार ने प्रदेश के कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों समेत प्राथमिक विद्यालयों में सेवानिवृत्त शिक्षकों को दोबारा नियुक्त करने का फैसला किया है, जिसको लेकर एक्शन शुरू हो गया है.


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मामले में बेसिक शिक्षा प्रमुख सचिव ने दी जानकारी
इस मामले में उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एक आदेश जारी किया गया है, जिसके तहत सरकार ऐसे सेवानिवृत्त शिक्षकों को शामिल करना चाहती है, जो स्कूलों में फिर से पढ़ाना चाहते हैं. वहीं, बेसिक शिक्षा सचिव विजय कुमार आनंद ने जानकारी देते हुए बताया कि उनकी संरक्षक के रूप में सहकर्मी की शिक्षा सुनिश्चित करने, इंटरनल मोटिवेशन देने और क्लास को स्टूडेंट फोकस बनाने की जिम्मेदारी होगी. इससे छात्रों के लर्निंग लेवल में सुधार होगा.


इस नियुक्ति के कई फायदे
आपको बता दें कि सरकार द्वारा उठाए जा रहे हैं, इस कदम के कई फायदे होंगे. एक तरफ जहां प्रशिक्षित शिक्षकों की कमी दूर होगी. वहीं, दूसरी तरफ शिक्षकों की कमी की चुनौती का सामना कर रहे स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था सुदृढ़ हो सकेगी. बेसिक शिक्षा सचिव का दावा है कि ये बहुत कम खर्च वाले स्कूलों में मेंटरिंग के कांसेप्ट को भी बढ़ावा देंगे.


चयन के लिए आयु सीमा निर्धारित
आपको बता दें कि जारी अधिसूचना के तहत 70 साल से कम आयु के सेवानिवृत्त शिक्षक परामर्श के लिए पात्र होंगे. हालांकि, इस नियुक्ति का कार्यकाल अत्यंत छोटा रखा गया है. जानकारी के मुताबिक नियुक्ति का कार्यकाल महज एक साल का होगा. सभी चयनित शिक्षक अनुबंध पर रखे जाएंगे. अगले वर्ष उनकी परफॉर्मेंस के वैल्यूएशन के आधार पर उनके एग्रीमेंट को रिन्यू किया जाएगा.


इन शिक्षकों को दी जाएगी प्राथमिकता
आपको बता दें कि चयन प्रक्रिया में कुछ सेवानिवृत्त शिक्षकों को प्राथमिकता दी जाएगी. इसके लिए कुछ क्राइटेरिया तय किए गए. जैसे रिटायर्ड शिक्षक राज्य या राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार विजेता हो. इसके अलावा असिस्टेंट टीचर या प्रिंसिपल के रूप में काम करने का न्यूनतम 5 साल का अनुभव हो. बता दें कि नियुक्ति के बाद चयनित शिक्षकों को 2,500 रुपये प्रति माह भत्ता दिया जाएगा.


चयनित शिक्षकों को करना होगा ये काम
आपको बता दें कि चयनित सेवानिवृत्त शिक्षक को प्रेरणा ऐप  पर न्यूनतम 30 स्कूलों का ऑनलाइन सर्पोटिव सुपरविजन करना होगा. इसके अलावा बच्चों और उनके अभिभावकों को दीक्षा और रीड अलॉन्ग ऐप के उपयोग के लिए प्रोत्साहित करना होगा. इन शिक्षकों का एक काम यह भी होगा कि वह स्कूल एक्टिविटी जैसे असेंबली और खेलकूद की प्रॉपर मॉनिटरिंग करेंगे. इसके अलावा अपने स्कूल में मॉडल शिक्षण व्यवस्था लागू कराएंगे.


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