अब्दुल जब्बार:  उत्तराखंड में ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य (Shankaracharya) के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती Swami Avimukteshwarananda Saraswati) के राज्याभिषेक पर रोक लगा दी गई है. यह रोक शीर्ष अदालत सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने लगाई है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की बेंच को बताया कि पुरी में गोवर्धन मठ के शंकराचार्य ने एक हलफनामा दायर किया है. इस हलफनामे के अनुसार ज्योतिष पीठ के नए शंकराचार्य के रूप में अविमुक्तेश्वरानंद की नियुक्ति का समर्थन नहीं किया गया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने उक्‍त आदेश पार‍ित किया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 18 तारीख यानी मंगलवार को होगी.


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नियुक्ति प्रक्रिया को गलत बताया गया
सुप्रीम कोर्ट एक आवेदन पर सुनवाई कर रही थी, इसमें आरोप लगाया गया था कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने दिवंगत शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती द्वारा ज्योतिष पीठ के उत्तराधिकारी के रूप में नियुक्त किए जाने का झूठा दावा किया था. बताया गया है कि यह मामला 2020 से सुप्रीम में लंबित है.  


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नियुक्ति प्रक्रिया पर उठे सवाल
याचिका में कहा गया है कि यह तय करने का एक जानबूझकर प्रयास किया गया है कि अदालत के सामने कार्रवाई निष्फल हो जाए. इसमें कहा गया है कि इस तरह के प्रयासों को न्यायालय के अंतरिम आदेश से रोकने की आवश्यकता है इसलिए इस आवेदन को स्वीकार किया जा सकता है. याचिका के मुताबिक सम्मान के साथ ऐसे दस्तावेज भी प्रस्तुत किए गए हैं, जिसमें यह बताया गया है कि नए शंकराचार्य की नियुक्ति पूरी तरह से झूठी है, क्योंकि यह नियुक्ति की स्वीकृत प्रक्रिया की अनदेखी है.


आदि शंकराचार्य ने की है चार पीठ की स्थापना


हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार आदि शंकराचार्य ने उत्तर दिशा में बद्रीकाश्रम ज्योतिष पीठ, पश्चिम में द्वारका के शारदा पीठ, पूर्व में पुरी गोवर्धन पीठ और दक्षिण में कर्नाटक के चिक्कमगलूर में श्रृंगेरी शारदा पीठम नामक चार मठों की स्थापना की थी. यह मठ सनातन धर्मावलंबियों के बीच आस्था के सर्वश्रेष्ठ केंद्र हैं.