Kushinagar: विदेश जाने वाले हो जाएं सावधान, ट्रैवल एजेंट कहीं गुमराह तो नहीं कर रहा
अगर आप विदेश जाने की सोच रहे है तो कुछ बातों के लिए सतर्क रहें. कहीं आपको फर्जी पासपोर्ट तो नहीं दिया जा रहा है. वर्किंग वीजा के नाम पर टूरिस्ट वीजा देकर आपको विदेश तो नहीं भेजा जा रहा है. पढ़ें कुशीनगर से एक खास रिपोर्ट
प्रमोद कुमार/कुशीनगर: यूपी के अलग-अलग हिस्सों से काम के लिए रोजाना कई युवा विदेश जाते हैं. गल्फ और अन्य देशों में जाने वाले ये युवा इसके लिए ट्रैवल एजेंटों का सहारा लेते हैं. लेकिन वहां पहुंचकर उन्हें या तो बताई गई नौकरी नहीं मिलती या फिर रहने और वीजा से जुड़ी परेशानियां आती हैं. कुशीनगर में ऐसा एक मामला सामने आया है. यहां दो युवकों से विदेश भेजने के नाम पर लाखों रुपये की ठगी की गई. आरोप है कि कुशीनगर स्थित पड़रौना कोतवाली अंतर्गत ओम साई अम्बे ट्रेनिंग टेस्ट सेंटर ने दो युवकों को ठगी का शिकार बनाया गया है. लाखों रुपये लेकर कबूतरबाजी का धंधा धड़ल्ले से चलाने वाले आरोपी अब फरार हैं.
इस तरह करते हैं ठगी
विदेशों में नौकरी दिलाने का झांसा देकर ठगी करने वाला ये गिरोह पहले न्यूज पेपर्स में विदेश में अच्छी नौकरी का विज्ञापन निकलवाते हैं. अक्सर इन नौकरियां की लोकेशन गल्फ देशों में बताई जाती है. भ्रामक विज्ञापन देखकर सैकड़ों बेरोजगार इन कंपनियों से संपर्क करते हैं. कंपनी की ओर से 40 हजार रुपये सैलरी ऑफर की जाती है,फिर उनसे मोटे रुपये लेकर इंटरव्यू के लिए बुलाते हैं और ठगी का शिकार बना लेते हैं. मौजूदा समय में ठगी करने वाले इन गिरोह के निशाने पर बस्ती खलीलाबाद, देवरिया, महराजगंज कुशीनगर से तमाम युवकों के साथ ठगी होती रही है. कबूतरबाजी के ये तिकड़मबाज नकली वीजा और फर्जी टिकट बनाने में माहिर होते हैं.
ऐसे बचें ठगी से
वीजा या वर्क परमिट देने वाली एजेंसी की अच्छी तरह पड़ताल कर लें.
अपना पासपोर्ट किसी भी सूरत में एजेंट को न सौंपें.
एजेंसी संचालक के मूल निवास की जानकारी अवश्य रखें.
एजेंसी विदेश मंत्रालय से रजिस्टर्ड है या नहीं, इसकी जानकारी अवश्य करें.
वर्क परमिट मिलने पर उसमें दिये गए कंपनी के नंबर व ई- मेल आईडी के जरिए अपनी नौकरी व सैलरी के बारे में पहले से तस्दीक कर लें.
नौकरी के लिये विदेश पहुंचने पर नियोक्ता को अपना पासपोर्ट हरगिज न दें.
इन सावधानी से आप ठगी के शिकार होने से बच सकते है.
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जानकारों की मानें तो विदेश में नौकरी का वीजा या वर्क परमिट दिलाने वाली एजेंसी का विदेश मंत्रालय में रजिस्ट्रेशन जरूरी है, विदेशों में नौकरी की चाह रखने वाले ज्यादातर अशिक्षित या कम पढ़े-लिखे होते हैं. जिले के पुलिस कप्तान धवल जायसवाल का कहना है कि ऐसे मामले पुलिस के पास आते रहते हैं. पुलिस कार्रवाई भी करती है. हालत यह है कि वर्ष 2015 मे खाड़ी देशों में भारतीय कामगारों के साथ शोषण के करीब 8000 से ज्यादा मामले सामने आए,ज्यादातर मामलों में लोगों को वायदे के मुताबिक, न तो नौकरी मिली और न ही तनख्वाह,नतीजतन प्रशिक्षित इलेक्ट्रिशियन हो, टेलर हो या फिर कोई अन्य कारीगर वहां पर मजबूरन ऊंट चराना पड़ता है या फिर घरेलू काम करना पड़ता है,साथ ही नौकरी देने से पहले नियोक्ता उसका पासपोर्ट अपने पास जमानत के तौर पर रख लेता है,ऐसे में भुक्तभोगी चाहकर भी अपने देश वापस नहीं आ पाता,कैसे बरतें सावधानी एक नज़र डालते है .