मनीष गुप्ता/आगरा: अगर आप घड़ी के शौकीन हैं तो तय समय के बाद आपको उस घड़ी के सेल बदलने पड़ जाते हैं, या फिर चार्ज करना पड़ता है.  मगर आज हम आपको एक ऐसी घड़ी के बारे में बता रहे हैं, जिसे 180 सालों से चार्ज करने की जरूरत ही नहीं पड़ी है,  इतना ही नहीं ये घड़ी 180 साल से सटीक समय भी बताती आ रही है. 


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दरअसल ताजनगरी आगरा में 1823 में आगरा कॉलेज डिग्री कॉलेज की स्थापना की गई थी. इसी कॉलेज के पार्क में एक ऐसी घड़ी है जो कि 180 साल से सही और सटीक समय बता रही है. यह घड़ी आम घड़ियों की तरह से टिकटिक तो नहीं करती है मगर टाइम एक दम परफेक्ट बताती है.  ये घड़ी कोई मशीन से नहीं बनी है,  बल्कि पत्थर से बनी है. जानकारी के मुताबिक यह ठीक उसी तरह से काम करती है जैसे कोर्णाक मंदिर के पहिए सूर्य की रोशनी से सही समय बताते हैं.  इसीलिए इस घड़ी को धूप घड़ी भी कहा जाता है. 


आगरा कॉलेज के प्राचार्य अनुराग शुक्ल के मुताबिक , कॉलेज के पार्क में धूप घड़ी लगी है. इसी कारण पार्क का नाम दो घड़ी और ध्यान रखा गया है.  इसमें धूप की दिशा से समय आसानी से देखा जा सकता है. इसका समय और हाथ की घड़ी का समय एक जैसा ही मिलता है. 


घड़ी में है कई खासियत 
धूप घड़ी की खासियत की बात करें तो इसमें रोमन और हिंदी दोनों में नंबर दर्ज हैं. जिसमें सूरज की रोशनी से टाइम देखा जाता है. घड़ी की विशेषता है कि जब इस पर सूरज की रोशनी की परछाई पड़ती है तो पत्थर पर उकेरी गई गणना से सटीक समय का पता चल जाता है. घड़ी के ठीक सेंटर में लोहे की तिरछी प्लेट है, जिसके चारों ओर रोमन और हिंदी में कोण के माध्‍यम से नंबर अंकित है. धूप पड़ने पर  से इन अंकों के बीच बनी लाइन को देखकर समय पता करते हैं. सूर्य निकलने के साथ लोहे की प्‍लेट पर धूप की परछाई के समय को जाना जा सकता है.