लखनऊ: उत्तर प्रदेश में एक और विधायक की सदस्यता रद्द हुई है. मुजफ्फरनगर की खतौली सीट से विधायक रहे विक्रम सैनी को मुजफ्फरनगर में हुए कवाल कांड के दौरान हुई हिंसा मामले में दोषी पाया गया है, जिसमें उन्हे दो साल की सजा हुई है. बीते साढ़े पांच साल में 6 विधायकों को सदस्यता गंवानी पड़ी है. हाल ही में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान की सदस्यता को विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने रद्द किया है. 


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विक्रम सैनी
खतौली सीट से विधायक विक्रम सिंह सैनी को मुजफ्फरनगर के कवाल हिंसा मामले में कोर्ट ने 2 साल की सजा सुनाई है, साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. वहीं अब उनकी विधानसभा सदस्यता को रद्द किया गया है. जल्द ही विक्रम सैनी की सीट को विधानसभा सचिवालय रिक्त घोषित करेगा.



आजम खान
समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर सीट से 2022 में विधायक बने आजम खान को हाल ही में विधायकी गंवानी पड़ी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में दिए गए भड़काऊ भाषण मामले में एमपी-एमएसए कोर्ट ने दोषी माना है, जिसमें आजम को दो साल की सजा हुई थी, जिसके 24 घंटे के भीतर उनकी विधासभा सदस्यता को रद्द कर दिया गया था. 



खब्बू तिवारी
अयोध्या की गोसाईंगंज सीट से विधायक बने इंद्र प्रताप उर्फ खब्बू तिवारी की भी विधानसभा सदस्यता समाप्त की जा चुकी है. फर्जी मार्कशीट के जरिए अगली कक्षा में प्रवेश मामले में उनको कोर्ट ने सजा सुनाई थी. जिसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता को निरस्त करते हुए सीट को रिक्त घोषित किया गया था.



कुलदीप सेंगर
उन्नाव की बांगरमऊ सीट से साल 2017 में कुलदीप सेंगर विधायक बने थे. दुष्कर्म मामले में उम्रकैद की सजा के बाद सेंगर को 25 सिंतबर 2022 को विधायकी गंवानी पड़ी थी.



अब्दुल्ला आजम
आजम खान से पहले उनके बेटे अब्दुल्ला आजम की भी विधायकी निरस्त की जा चुकी है. पैनकार्ड और दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में हाईकोर्ट ने उन पर लगे आरोप को सही मानते हुए विधायकी रद्द कर दी थी. 



अशोक सिंह चंदेल
हमीरपुर सीट से 2019 में विधायक बने अशोक सिंह चंदेल को हाईकोर्ट ने हत्या मामले में दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. जिसके बाद उनकी विधायकी को निरस्त कर दिया गया था.