अजीत सिंह/लखनऊ : योगी सरकार उत्तर प्रदेश में छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए कई तरह की कवायद कर रही है. इसके लिए शिक्षा को रोचक बनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में सीएम योगी के निर्देश पर परिषदीय विद्यालयों में खेलों के माध्यम से लर्निंग को बढ़ावा दिया जा रहा है. परिषदीय प्राथमिक व कंपोजिट विद्यालयों के परिसर में स्थित को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों को बाला फीचर्स से लैस किया जा रहा है. इसके लिए सरकार की ओर से हर केंद्र को 30 हजार रुपए की धनराशि मुहैया कराई जा रही है. भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड द्वारा वर्ष 2023-24 के अनावर्तक मद में उत्तर प्रदेश के 449 को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों में बाला फीचर्स मुहैया कराने के लिए 1.12 करोड़ रुपए का अनुमोदन प्रदान किया गया है. 


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प्रबंध समिति के खाते में जाएगी धनराशि 
महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरण आनंद की ओर से सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देश जारी किए गए हैं. आदेश में कहा गया है कि बाला फीचर्स से जुड़े कार्य के लिए 30 हजार रुपए प्रति केंद्र की दर से एक करोड़ 12 लाख 50 हजार रुपए की लिमिट जनपदवार जारी की गई है. ऐसे स्कूल जिनके परिसर में आंगनबाड़ी केंद्र अवस्थित हैं, उन विद्यालयों की प्रबंध समिति के खाते में धनराशि की लिमिट जारी की जाए. संबंधित विद्यालय व खंड शिक्षा अधिकारी राज्य परियोजना कार्यालय से जारी निर्देशों के अनुसार को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों में बाला फीचर्स के कार्य को कराना तय करें. स्कूलों की प्रबंध समिति में विद्यालय के प्रधानाध्यापक के अतिरिक्त संबंधित विद्यालय का नोडल अध्यापक एवं आमंत्रित सदस्य के रूप में आंगनबाड़ी कार्यकत्री को शामिल किया जाएगा.


क्या है बाला फीचर्स? 
बाला से तात्पर्य बिल्डिंग एज लर्निंग एड (Building as Learning Aid) है. बाला का विकास कक्षा-कक्ष एवं विद्यालय को बच्चों के लिए मजे एवं आनंद की जगह बनाने में सहायक होता है. बाला के अंतर्गत कक्षा-कक्ष /आंगनबाड़ी केंद्र में उपलब्ध स्थान इस प्रकार तैयार करना कि बच्चे खेल-खेल में सीख सकें और उस स्थान का सुसज्जीकरण इस तरह हो कि वह एक संसाधन के रूप में कक्षा को सक्रिय बना सके. इस प्रकार स्कूल परिवेश को सीखने के साधन के रूप में विकसित करना बाला फीचर्स का अहम मकसद है. इसके तहत बच्चों को सीखने के रोचक तरीके बताना है. 


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क्या कार्यक्रम होंगे


विकसित किए जाने वाले बाला फीचर्स संबंधी कार्य में बालवाटिका एवं मूलभूत साक्षरता के लिए कुछ आधार तय किए गए हैं. इसके तहत क्लास के अंदर की चारों दीवारों को एक मीटर की ऊंचाई तक वाटरप्रूफ हरा रंग किया जाएगा या फिर ब्लैकबोर्ड की तरह इस्तेमाल किया जाएगा. इस पर बच्चे आड़ी-तिरछी रेखाएं बनाना या आकृति या शब्द बनाना सीखेंगे. इसके अलावा खिड़की, फर्श का भी इसी तरह रचनात्मक प्रयोग किया जाएगा, जिसके माध्यम से बच्चे खेल और सीखने की गतिविधियों को क्रियान्वित कर सकें. कक्षा के बाहर खुले स्थान पर ओपन सैंड बेड का प्रयोग बच्चों द्वारा मिट्टी या बालू में वर्णों को बनाने में किया जा सकेगा.


स्कूल के खुले उपलब्ध स्थान पर बरामदे आदि पर लूडो, सांप सीढ़ी, गोलतारा एवं विभिन्न प्रकार के आकार जैसे चौकोर, तिकोना, गोल आदि को बनाया जाए. स्कूल परिसर में स्थित पिलर का उपयोग विभिन्न मौसम, चित्रों के माध्यम से कहानी आदि के लिए किया जा सकता है.


मदर ओरिएंटेशन कार्यक्रमों का भी होगा आयोजन 
को-लोकेटेड आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों के साथ-साथ उनकी माताओं को भी बच्चों की देखभाल के तरीके बताए जाएंगे. मदर ओरिएंटेशन प्रोग्राम 28 से 31 अगस्त के बीच शुरू होंगे. यह हर माह के अंतिम सप्ताह में आयोजित किए जाएंगे. इसके लिए शिक्षकों को पहले ही ट्रेनिंग दी जा चुकी है. इसमें बच्चों, उनकी माताओं के साथ-साथ स्कूल के प्रधानाध्यापक, नोडल अध्यापक, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सुपरवाइजर, ग्राम स्तर से आमंत्रित वरिष्ठ नागरिक सम्मिलित होंगे.


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