UP Byelection 2022: जानिए कौन हैं खतौली सीट से सपा-RLD प्रत्याशी मदन भैया, जेल से जीत चुके हैं चुनाव
Khatauli seat Byelection: खतौली सीट पर सपा-रालोद ने मदन भैया को चुनावी मैदान में उतारा है. उन्होंने बुधवार को नामांकन कर दिया है. मदन भैया चार बार विधायक बन चुके हैं. उन्होंने अपना पहला चुनाव जेल से जीता था. जानिए उनके बारे में...
UP Byelection 2022: उत्तर प्रदेश में उपचुनाव को लेकर सियासी पारा बढ़ा हुआ है.जिन सीटों पर चुनाव होना है, उनमें मुजफ्फरनगर की खतौली सीट भी शामिल है. बीजेपी ने यहां से राजकुमारी सैनी को चुनावी मैदान में उतारा है, जहां उनके मुकाबला समाजवादी पार्टी-रालोद गठबंधन प्रत्याशी मदन भैया से होगा. बुधवार को मदन भैया ने नामांकन पत्र दाखिल किया. इस दौरान सपा-रालोद पार्टी के जिलाध्यक्ष मौजूद रहे. वहीं सुरक्षा को देखते हुए नामांकन स्थल पर पुलिस बल तैनात रहा. जानिए कौन हैं सपा-रालोद प्रत्याशी कौन हैं...
मदन भैया गाजियाबाद के बाहुबली नेताओं में शुमार वह नाम हैं, जो 4 बार विधायक बन विधानसभा जा चुके हैं. 1991 से बागपत की खेकड़ा सीट पर मदन भैया का एकछत्र राज चलता था, पर जब परिसीमन के बाद इस सीट को खत्म कर बागपत और मोदीनगर मैं शामिल कर लोनी विधानसभा की नई सीट मनाई गई है तब से मदन भैया की राजनीति ढलान पर आ गई. 62 वर्षीय मदन भैया अब भी चुनावी हाथ आजमा रहे हैं. 2021 में उन्होंने लोनी विधानसभा से समाजवादी गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा. जहां उन्हें बीजेपी प्रत्याशी नंदकिशोर गुर्जर से हार का मुंह देखना पड़ा.
मदन भैया का जन्म 11 सितंबर 1959 को अब लोनी थाना क्षेत्र के जावली गांव में गुर्जर परिवार में हुआ था. वह पढ़ाई के साथ-साथ राजनीति में भी सक्रिय थे. राजनीति की शुरुआत पढ़ाई के दौरान ही दबंग छवि के साथ कर ली थी. 1989 में उन्होंने जेल काटते हुए चुनाव लड़ा और खाली चुनाव लड़ा ही नहीं बल्कि दूसरे स्थान पर आकर राजनीतिक दलों की सुर्खियां बटोरीं. 1991 के चुनाव में फिर से जनता दल के चुनाव चिन्ह पर जेल से खेकड़ा सीट से लड़े. इस बार लोक दल के प्रत्याशी रिसपाल बंसल को बड़े अंतर के साथ हराया. यहीं से मदन भैया के राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई. 1993 में उन्होंने विधानसभा चुनाव में फिर से खेकडा से बाजी मारी और समाजवादी पार्टी के टिकट पर जीत दर्ज की.
1996 का दौर जब बीजेपी अपना उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपना प्रभुत्व जमा चुकी थी. तब भाजपा के प्रत्याशी रूप चौधरी ने उन्हें हराकर इस सीट पर कब्जा किया. लेकिन 2002 के चुनाव में मदन भैया ने फिर से वापसी करते हुए सीट पर कब्जा कर लिया. 2007 में भी रालोद के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए अपनी चौथी जीत दर्ज कराई. 2012 में परिसीमन के बाद खेकड़ा सीट समाप्त हो गई और लोनी सीट अस्तित्व में आई. यहां से पहले बसपा के जाकिर अली से मात खाई. उसके बाद छात्र राजनीति से उभरे हुए नेता नंदकिशोर गुर्जर को मदन भैया लोनी विधानसभा सीट गंवा बैठे.
2022 के चुनाव में दोबारा मदन भैया को भाजपा के नंदकिशोर गुर्जर से हार का सामना करना पड़ा. वह अभी लोनी विधानसभा पर होने वाले आगामी चुनाव तक चुप बैठना नहीं चाहते हैं. इस बार नई जगह से हाथ अजमाने खतौली विधानसभा के उपचुनाव में उतर गए हैं. यहां सीधा सामना भाजपा प्रत्याशी राजकुमारी सैनी से होने वाला है. हार-जीत का पता तो नतीजे आने के बाद चलेगा. लेकिन उपचुनाव की लड़ाई दिलचस्प होने वाली है.
(पीयूष गौड़ की रिपोर्ट)