लखनऊ/अरविंद मिश्रा: उत्तर प्रदेश एसटीएफ को अपराधियों के लिए खौफ का दूसरा नाम यूं ही नहीं कहा जाता है. गंभीर से गंभीर अपराध का खुलासा करने में यूपी एसटीएफ को मिलने वाली कामयाबी के पीछे उसकी स्मार्ट पुलिसिंग की अहम भूमिका है. नई टेक्नोलॉजी और इनवेस्टिगेशन प्रोसेस से अपराधी किसी भी दुनिया में हो उसके लिए उत्तरप्रदेश एसटीएफ से बच पाना आसान नहीं है. यूपी एसटीएफ को आधुनिक तकनीक के उपयोग के लिए नई दिल्ली में सम्मानित किया गया है. देश के शीर्ष उद्योग संगठन फिक्की की ओर से यूपी एसटीएफ को फिक्की स्मार्ट पुलिसिंग अवॉर्ड-2021 प्रदान किया गया है. यूपी एसटीएफ को यह अवॉर्ड साइबर क्राइम मैनेजमेंट के लिए दिया गया है. यूपी पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अमिताभ यश और डीएसपी दीपक कुमार सिंह ने यह अवॉर्ड हासिल किया. भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) पिछले कई सालों से देश के विभिन्न राज्यों की पुलिस एवं केंद्रीय पुलिस संगठनों द्वारा नवाचार कर किए जा रहे अच्छे कार्यों के लिए कुछ चुने हुए पुलिस अधिकारियों को प्रतिवर्ष स्मार्ट पुलिसिंग अवॉर्ड्स (Smart Policing Awards) दिया जाता है. इस अवॉर्ड को दिए जाने वाली ज्यूरी में पूर्व केंद्रीय गृह सचिव जीके पिल्लई और बीएसएफ व यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह सहित देश भर के कई प्रमुख अधिकारी शामिल थे.


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अपराधियों की आवाज से लोकेशन का पता चल जाता है


बताया जा रहा है कि यूपी एसटीएफ ने ऐसे अपराधी जो बार-बार अपना मोबाइल नंबर बदल लेते हैं, उनकी लोकेशन ट्रेस करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित एक ऑडियो अनालिटिक्स टेक्नोलॉजी (JARVIS-SIAN) विकसित की है. अपराधी यदि 7-10 सेकण्ड के लिए भी फोन पर बात कर रहा होता है, तो उस तक इस डिवाइस की मदद से आसानी से पहुंचा जा सकता है. अपराधी  किसी भी भाषा में बात कर रहा हो, यूपी एसटीएफ उसे आसानी से डिकोड कर लेती है. 


उत्तराखंड के पुलिस अधिकारी भी हुए सम्मानित


FICCI द्वारा वर्ष 2021 के लिए केवल खुराना, पुलिस महानिरीक्षक, एससीआरबी को पहला अवार्ड Road Safety & Traffic Management श्रेणी के तहत सड़क सुरक्षा और यातायात व्यवस्था हेतु बनाए गए Uttarakhand Traffic Eyes App के लिए दिया गया.पुलिस महानिरीक्षक केवल खुराना द्वारा निदेशक यातायात, उत्तराखण्ड  पद पर रहते हुए जाम की समस्या से निजात दिलाने एवं यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई. इस दौरान 29 फरवरी 2020 को उनके निर्देशन में यातायात निदेशालय द्वारा Uttarakhand Traffic Eyes App का शुभारम्भ किया गया, जिसका उद्देश्य ट्रैफिक मैनेजमेंट बेहतर करने तथा नियमों का उल्लंघन करने वाले वाहन चालकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई को प्रोत्साहित करना था. Uttarakhand Traffic Eyes App को Uttarakhand Police App में इंट्रीग्रेड किया गया है. यह एप आम लोगों में काफी प्रसिद्व होने के कारण उत्तराखण्ड पुलिस एप में भी काफी अच्छे परिणाम दे रहा है. Uttarakhand Traffic Eyes App के माध्यम से वर्ष 2020 से वर्ष 2022 तक लगभग 70247 कुल शिकायतें प्राप्त हुई हैं, जिन पर कार्रवाई करते हुए लगभग 44,84,400 संयोजन शुल्क वसूला गया है.



FICCI द्वारा दूसरा अवार्ड अजय सिंह, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एसटीएफ को Cyber Crime Management श्रेणी में स्मार्ट पुलिसिंग की पहलों के लिए शुरू किए गए e-Suraksha Chakra 2.0 के लिए प्रदान किया गया. स्पेशल टास्क फोर्स उत्तराखण्ड राज्य में घटित गम्भीर प्रकृति के अपराधों एंव साइबर क्राईम के अपराधों की रोकथाम हेतु नोडल एजेन्सी के रुप में कार्यरत है. स्पेशल टास्क फोर्स द्वारा सयुक्त रुप से घटित साइबर क्राईम, वित्तीय हानि के अपराधों के प्रति आम जनता को जागरुक किये जाने हेतु व्यापक स्तर पर कार्य किया जा रहा है. 


 



नक्सल प्रभावित राज्यों के अधिकारी भी सम्मानित


स्मार्ट पुलिसिंग के चुने कुल 29 श्रेष्ठ कार्यप्रणालियों/पुलिस अधिकारियों में छत्तीसगढ़ पुलिस के तीन पुलिस अधिकारियों एसएसपी रायपुर प्रशांत अग्रवाल, एसपी कोरबा संतोष सिंह व डीआईजी सीआईडी हिमानी खन्ना भी शामिल हैं. प्रशांत अग्रवाल को बिलासपुर में चलाए गए साइबर मितान अभियान, संतोष सिंह को रायगढ़ पदस्थापना के दौरान बाढ़ पीड़ितों की मदद हेतु चलाए गए संवेदना अभियान और हिमानी खन्ना को वृद्धजन सुरक्षा हेतु पुलिस मुख्यालय द्वारा चलाए गए समर्पण अभियान के लिए अवॉर्ड दिया गया. देश के अलग-अलग राज्यों की पुलिस लगातार स्मार्ट और कम्यूनिटी पुलिसिंग को लेकर कदम बढ़ा रही है. ऐसे अधिकारियों और उनकी पहल को प्रोत्साहित करने से पुलिस की छवि भी बदल रही है. कुछ दिन पहले ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस से आधुनिक तकनीक का अधिक से अधिक इस्तेमाल करने का आह्वान किया था.