UP के छात्रों को बंक मारना अब पड़ सकता है भारी, प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को जारी हुआ यह निर्देश
स्कूल यूनिफार्म में नो एंट्री: छात्र तैयार होकर घर से तो स्कूल के लिए निकलते हैं, लेकिन टाइम पास करने के लिए पार्क, मॉल, सिनेमा हॉल में चले जाते हैं.
लखनऊ: यूपी में अब सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्क, मॉल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल और चिड़िया घर में स्कूल यूनिफार्म में एंट्री नहीं होगी. उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि विद्यालय के समय में स्कूली छात्रों को इन जगहों पर एंट्री नहीं दी जाए. दरअसल छात्र अपने माता-पिता को स्कूल जाने की बात कहकर घर से तो निकलते हैं, लेकिन स्कूल ना जाकर इन जगहों पर चले जाते हैं.
यूपी के सभी जिलाधिकारियों को जारी हुआ पत्र
यूपी राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की ओर से जारी में कहा गया है कि सर्वजनिक स्थानों पर विद्यालय समय में किसी भी छात्र-छात्रा को विद्यालय यूनिफॉर्म में प्रवेश न दिया जाए. ये प्रतिबंध 12वीं तक के छात्र-छात्राओं पर लागू होगा. राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चौधरी ने स्कूल या कॉलेज के समय में बच्चों के स्कूल ड्रेस में पार्क, मॉल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर प्रवेश को लेकर बैन लगाने की मांग की है. उन्होंने इसके लिए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को एक पत्र जारी किया है. पत्र में लिखा है आयोग के संज्ञान में आया है कि विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्रा स्कूल के समय में सार्वजनिक स्थानों जैसे पार्क, मॉल, रेस्टोरेंट आदि में जाकर समय व्यतीत करते हैं. ऐसी पररिस्थिति में अप्रिय घटना होने की संभावना बन जाती है.
इसलिए सभी जिलाधिकारियों से यह अपेक्षा की जाती है कि अपने जनपद के समस्त सार्वजनिक स्थानों पर स्कूल टाइम में स्टूडेंट्स का यूनिफॉर्म में प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया जाए. आयोग की ओर से सभी जिलों के जिलाधिकारियों को एक सप्ताह के भीतर इस आदेश पर कार्रवाई कर रिपोर्ट मुहैया कराने का आदेश जारी किया गया है.
बंक मारके पार्क में घूमते हैं छात्र
गौरतलब है कि कई बार देखने को मिल जाता है कि स्कूल टाइम में स्टूडेंट्स बंक मारके पार्क, मॉल, रेस्टोरेंट, सिनेमा हॉल और चिड़िया घर में टाइम पास करते हुए नजर आते हैं. छात्रों के माता-पिता को पता होता है कि उनका बच्चा तो स्कूल गया हुआ है, लेकिन छात्र इन जगहों पर टाइम पास कर रहे होते हैं. इस दौरान कई बार छात्र किसी अप्रिय घटना का भी शिकार हो जाते हैं. इसलिए उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने यह निर्देश जिलाधिकारियों को दिया है, ताकि इस तरह की घटनाओं में कमी आ सके.
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