UP tourism: योगी सरकार बौद्धिस्ट सर्किट का ऐसे करेगी विकास, ये शहर होंगे वर्ल्ड क्लास
UP tourism: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बीच गोरखपुर सबसे प्रमुख शहर है. यही वजह है कि पर्यटन विभाग ने अगामी 5 वर्षों में 5 शहरों को वैश्विक स्तर की सविधाओं से करने का लक्ष्य रखा है. ये है मामला...
अजीत सिंह/गोरखपुर: यूपी का गोरखपुर पूर्वांचल के प्रमुख शहरों में शुमार है. वाराणसी के बाद यह पूर्वांचल का सबसे प्रमुख शहर है. नेपाल की राजधानी काठमांडू, बिहार की राजधानी पटना और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बीच यह सबसे प्रमुख शहर है. वहीं, देश की प्रमुख पीठों में शुमार गोरक्षपीठ, सौ साल से सस्ती धार्मिक एवं नैतिक पुस्तकों के प्रकाशन के लिए पूरी दुनिया में मिसाल गीता प्रेस और भौगोलिक रूप से बौद्धिस्ट सर्किट (Buddhist Circuit) (कुशीनगर, कपिलवस्तु एवं श्रावस्ती) के बीचो-बीच पड़ता गोरखपुर को खुद में और खास बनाती है. इस लिहाज से गोरखपुर में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं. यही वजह है कि पर्यटन विभाग ने अगामी 5 वर्षों में 5 शहरों को वैश्विक स्तर की सविधाओं से करने का लक्ष्य रखा है.
बौद्धिस्ट के पर्यटकों को लुभाएगा चिलुआताल
आपको बता दें कि संयोग से चिड़ियाघर और रामगढ़ताल, दोनों शहर के दक्षिणी छोर पर हैं. ऐसे में सरकार उत्तरी छोर को भी पर्यटन के दृष्टि से चमकाने जा रही है. इसके लिए महत्वपूर्ण जरिया होगा शहर के उत्तरी छोर पर स्थित चिलुआताल. आने वाले समय में यह ताल खूबसूरती के मामले में रामगढ़ताल को टक्कर देगा.
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देश-विदेश के सैलानियों को लुभाने में चिलुआताल, रामगढ़ताल से पीछे न रहे, इसके लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है. प्रथम चरण का काम भी शुरू हो चुका है. यहां रामगढ़ताल की तर्ज पर पर्यटकों को सभी सुविधाएं मुहैया होंगी. सुंदरीकरण के बाद शहर के दक्षिणी छोर पर रहने वाले लोगों के साथ सड़क मार्ग से कपिलवस्तु एवं श्रावस्ती जाने वाले बौद्धिस्ट पर्यटकों को भी इसकी खूबसूरती लुभाएगी.
मच्छर-माफिया के नाते बदनाम शहर बन रहा पर्यटकों केंद्र
आपको बता दें कि उसमें गोरखपुर भी शामिल हैं. इसके अलावा अयोध्या, मथुरा, वाराणसी, चित्रकूट और बौद्धिस्ट सर्किट से जुड़े हैं. सीएम योगी ने एक कार्यक्रम में कहा था, पांच साल पहले गोरखपुर शहर मच्छर एवं माफिया के लिए बदनाम था. कुछ समय पहले यहां पर्यटन की संभावनाओं के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता था. अब वही गोरखपुर पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है. अगले पांच साल में क्षेत्र की संभावनाओं को विस्तार देते हुए पर्यटन विभाग ने इसे पर्यटन के लिहाज से वैश्विक स्तर का बनाने का लक्ष्य रखा है. यानी आने वाले समय में गोरखपुर की चमक पर्यटन के ग्लोबल मैप पर होगी.
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दरअसल, गोरखपुर पहले से धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत से समृद्ध रहा है. यहां के गोरखनाथ मंदिर और मकर संक्रांति पर्व पर एक माह तक चलने वाले खिचड़ी मेले की महत्ता जग प्रसिद्ध है. लंबे समय से गोरखनाथ मंदिर के अलावा और कोई ऐसी जगह नहीं दिख रही थी. जहां सैलानियों को लुभाया जा सके. हालांकि, अनेक ऐसे स्थान थे जो पर्यटन विकास की संभावनाओं से भरपूर थे. साल 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में पर्यटन विकास की सभी संभावनाओं को आगे बढ़ाया.
मरीन ड्राइव और जुहू चौपाटी से कम नहीं रामगढ़ ताल
आपको बता दें कि एक दौर वह भी था जब, 1700 एकड़ में फैले इस ताल की पहचान गंदगी से होती थी. आज इसकी पहचान खूबसूती से है. लेक व्यू पॉइंट, नौकायन केंद्र, सेल्फी पॉइंट जैसे स्थल इसकी शोभा बढ़ाता रहे हैं. सैलानियों को साउंड एंड लाइट शो भी खूब आकर्षित करता है. यहां, आने वाले पर्यटकों को ताल में कई तरह की नावों की सैर करने के साथ ही डबल डेकर बोट और कयाकिंग का भी आनंद मिलता है. बता दें कि जल्द ही, यहां क्रूज और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट का आनंद मिलेगा, वहीं, सी प्लेन सेवा की कार्ययोजना भी आगे बढ़ रही है. आज गोरखपुर की तुलना लोग मुंबई के मरीन ड्राइव एवं जुहू चौपाटी से करते हैं.
एडवेंचर एवं वाटर स्पोर्ट्स का हब बन रहा गोरखपुर
आपको बता दें कि रामगढ़ताल के पास सीएम योगी ने करीब 45 करोड़ रुपये की लागत से एक विश्वस्तरीय वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स का निर्माण कराया है. इस वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की जल क्रीड़ा प्रतियोगिताओं और उनके प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा. पूरे प्रदेश के लिए यह सार्वजनिक क्षेत्र का पहला वाटर स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स है.
ज्ञान एवं मनोरंजन का केंद्र बना चिड़ियाघर
आपको बता दें कि गोरखपुर का चिड़ियाघर पूर्वी उत्तर प्रदेश में इको टूरिज्म के केंद्र के रूप में विख्यात हुआ है. जहां आप ज्ञान के साथ-साथ मनोरंजन का संगम देख सकते हैं. वहीं, चिड़ियाघर ने पूर्वांचल में पर्यटन विकास को नए पंख दिए हैं. बता दें कि गोरखपुर चिड़ियाघर की नींव 18 मई 2001 को रखी गई थी, लेकिन मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने तक काम के नाम पर मिट्टी पटाई की रस्म अदायगी ही हुई थी. सीएम योगी ने इस प्रोजेक्ट को पुनर्जीवित किया. 27 मार्च साल 2021 को होली के उपहार के तौर पर चिड़ियाघर को लोकार्पित किया गया. यहां वन्यजीवों के लिए यहां विस्तृत श्रृंखला के साथ दुर्लभ सफेद बाघ भी हैं.