मयूर शुक्ला/लखनऊ: सरकारी बस से सफर करने वाले सतर्क हो जाएं क्योंकि प्राइवेट ट्रेवल्स कंपनी वाले आपकी जेब पर डाका डाल रहे हैं. जहां एक तरफ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सभी विभागों में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने और ईमानदारी से काम करने का निर्देश देते हैं तो वहीं जिम्मेदार अधिकारी उनके आदेशों को खुलेआम पलीता लगा रहे हैं.


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यूपी ट्रांसपोर्ट विभाग में भ्रष्टाचार की झड़ी लग गई है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ है, क्योंकि उन्हें किसी का डर नहीं है. किस तरह से सरकारी बसों पर प्राइवेट ट्रैवल्स कंपनियों का राज चल रहा है और पिछले लंबे समय से हो रहे घोटालों पर जिम्मेदार अधिकारी मौन हैं.


सरकारी बस पर प्राइवेट ट्रेवल्स का कब्जा
उत्तर प्रदेश परिवहन विभाग में एक नया घोटाला सामने आया है. कई बार ऐसा होता है जब यूपीएसआरटीसी की वेबसाइट सही से काम नहीं करती तो ऐसे में मजबूरन लोगों को प्राइवेट बस ट्रेवल्स कंपनी से आनन-फानन में महंगा टिकट बुक कराना पड़ता है. यात्रियों को लगता है कि वो एक शानदार प्राइवेट वॉल्वो बस में बैठेंगे, लेकिन असल खेल तो यहीं शुरू होता है. यात्रियों को प्राइवेट बस में नहीं बल्कि यूपीएसआरटीसी की सरकारी बस में बिठाया जाता है और वहां मौजूद सरकारी कंडक्टर भी एक टिकट थमा देता है.


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ऐसे किया जा रहा घोटाला
मान लीजिए आपको लखनऊ से हल्द्वानी जाना है और आपने गूगल पर बस सर्च की, लेकिन यूपीएसआरटीसी की वेबसाइट ना खुलने पर आपने अरोड़ा ट्रेवल्स से टिकट बुक कराया जो कि 1150 रुपये का है, जबकि सरकारी बस का किराया 1040 रुपये है. यानी कि आपको मजबूरी में ज्यादा पैसे देने पड़े. उसके बाद जब आप सफर के लिए बस स्टॉप जाएंगे तो आपको वहां पर अरोड़ा ट्रेवल्स की बस में नहीं, बल्कि यूपीएसआरटीसी की सरकारी बस में बिठाया जाएगा और हैरत की बात यह है कि बस में मौजूद सरकारी कंडक्टर भी आपको एक सरकारी टिकट देगा जिस पर किराया नहीं लिखा होगा. क्योंकि उसमें सरकारी किराया लिखा होगा जो प्राईवेट कंपनी द्वारा लिए गए किराये से कम होगा तो लोग उस पर वाद विवाद करेंगे.


जिम्मेदार अधिकारियों की आंखों पर पड़ा पर्दा
जब आप अपना टिकट बुक करते हैं तो आपको मजबूरी में प्राइवेट ट्रैवल्स कंपनी से टिकट बुक करना पड़ता है. प्राइवेट ट्रेवल्स कंपनी के मालिक उच्च अधिकारियों से मिलीभगत कर ये कारनामा कर पा रहे हैं. एक बस जिसमें 40 सीटें हैं. उसमें पहले से ही 20 से 25 सीटें प्राइवेट कंपनी के लिए बुक रहती हैं और इसके एवज में अधिकारियों तक मोटा पैसा भी पहुंचाया जाता है.


बस स्टॉप में टिकट काउंटर पर मौजूद कर्मचारी ने बताया कि जो टिकट उनके पास से बुक होते हैं, उसमें सरकारी रेट से बढ़कर 1 रुपये भी नही लिया जा सकता. हां जो लोग प्री बुकिंग करवाते हैं उनसे चार्ज के तौर पर मामूली शुल्क लिया जाता है, जो सरकारी खजाने में ही जाता है. अगर प्राइवेट कंपनियां ऐसा करके यात्रियों को गुमराह करने का काम कर रही हैं तो ये पूरी तरह गलत है उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.


लंबे समय से यूपीएसआरटीसी में हो रहा है भ्रष्टाचार
1. डग्गामार बसों को पकड़ने के बाद उनमें मौजूद यात्रियों को सरकारी बस से भेजने में भी खेल होता है. मोटा बिल बनाकर प्राइवेट बस कंपनी मालिक से पैसा वसूला जाता है.
2. आपको बता दें कि रोडवेज में 10 हजार लीटर मोबिल तेल बेचने में भी धांधली हुई थी.
3. रेवड़ी बेचने में भी अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध वेंडरों का दबदबा है. पिछले लंबे समय से रेवड़ी बेचने का ठेका नहीं उठा उसके बाद भी रेवड़ी बेचने का काम किया जा रहा है.
4. अनाधिकृत ढाबों पर बसें रोक कर कमीशन का खेल भी लगातार चलता आ रहा है.


यूपीएसआरटीसी की एसी बसों की असलियत 
खुद कंडक्टर ने बताया कि वह कितनी दयनीय स्थिति में बस का संचालन कर रहे हैं. यात्रियों से तो एसी बस का पूरा किराया लिया जाता है, लेकिन न बस के अंदर टीवी चलती है न चार्जिंग पोर्ट पर करंट आता है. बस के अंदर के तमाम उपकरण खराब पड़े हैं, जिनकी शिकायत करने पर भी उन्हें ठीक नहीं किया जाता.


कंडक्टर ने तो यहां तक खुलासा कर दिया की वर्कशॉप में तमाम ऐसी बसें पड़ी हुई है, जिनमें मोबिल ना होने के कारण उनका संचालन नहीं हो पा रहा है. यूपीएसआरटीसी विभाग घाटे में बिल्कुल नहीं है. निचले क्रम के कर्मचारी मेहनत करके विभाग को अच्छा खासा मुनाफा दे रहे हैं.


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उच्च अधिकारियों को रहती है सब जानकारीः पूर्व यातायात अधीक्षक
जानकारी के मुताबिक इन सभी अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार के पीछे उच्च अधिकारियों की लापरवाही उजागर हुई है जो मनमाफिक तरीके से काम करते हैं. अपनी जिम्मेदारी नहीं उठाते और तानाशाही रवैया भी अपनाएं रहते हैं. उनकी नाक के नीचे इतने सारे घोटाले और भ्रष्टाचार हो रहे हैं तो आखिर जिम्मेदारी तो उन्हीं की बनती है तो वह इस पर लगाम क्यों नहीं लगाते या फिर लगाना ही नहीं चाहते.


परिवहन विभाग से रिटायर्ड पूर्व यातायात अधीक्षक प्रमोद त्रिपाठी ने आरएम पल्लव बोस के बारे में बताया कि यह जितने भी घोटाले होते हैं सारी जानकारी आरएम को रहती है, लेकिन फिर भी सांठगांठ के चलते कोई कार्रवाई नहीं होती.


परिवहन मंत्री भी रह गए हैरान 
ट्रांसपोर्ट विभाग में हो रहे तमाम भ्रष्टाचार की जानकारी ज़ी मीडिया ने परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को दी तो वह भी हैरान रह गए. उन्होंने यह बात मानी कि हां ऐसा जरूर हो सकता है कि प्राइवेट ट्रैवल्स कंपनी वाले सरकारी बसों में अपने यात्रियों को बिठाते हों. उन्होंने इसके पीछे तर्क भी दिया की ट्रांसपोर्ट विभाग ने डग्गामार बसों पर लगाम लगाई है.


यही वजह है कि वह लोग अपने यात्रियों को हमारी बसों में बिठाते हैं. उन्होंने कहा कि ज़ी मीडिया के हवाले से उनके संज्ञान में यह मामला सामने आया है इसकी जांच की जाएगी फिर चाहे वह अधिकारी हो या कर्मचारी जो भी इसमें लिप्त होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी होगी.


जनता के पैसे पर मौज कर रहे अधिकारियों का ज़ी मीडिया लगातार खुलासा कर रहा है और विभागों की अव्यवस्थाओं को उजागर कर रहा है. अब देखना ये है कि ट्रांसपोर्ट विभाग के इस घोटाले पर संबंधित मंत्री और अधिकारी क्या कुछ कार्रवाई करते हैं यह या फिर भ्रष्टाचार का खेल यूं ही चलता रहेगा.


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